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________________ ६५४ बटवारा [आठवां प्रकरण wwwvvv (१) पिता और पुत्र । (२) भाई और भाई। (३) चाचा और भतीजे-33 Cal. 371; 10 C. W N. 236. स्मृति चन्द्रिका, दायभाग, वीरमित्रोदय, और मयूख इनकी भी यही राय है । परन्तु मिथिला स्कूलमें कोई भी मुश्तरका खान्दानका मेम्बर एकमें शामिल हो सकता है। नाबालिगकी तरफसे एकमें शामिल होनेका इक़रार नहीं किया जा सकता, देखो-301. A. 130; 5 Bom. L. R. 469; 30 Cal 725. सुबूत-जब बटकर फिर कोई शामिल हो जावे तो बार सुबूत उसके ऊपर होगा जो कहे कि फिर शामिल होगये थे, देखो-गोपालचन्द दाद्योदिया बनाम कनीराम दाधोदिया 7 W. R.C. R. 35. बटवारा-एक बार किसी मुश्तरका खान्दानके बटवारेके पश्चात् यह उस फ़रीनकी जिम्मेदारी होती है, जो कि दुबारा मुश्तरका होना पेश करते हैं,कि वह यह साबित करे,कि खान्दान दुवारा मुश्तरका होगया है। इन वाकयातोंसे, कि सब सदस्य या उनमें से कुछ सदस्य एक साथ एक घरमें रहते हैं या मुश्तरका तिजारत करते हैं या एक साथ सरकारी टैक्स देते हैं, इस प्रकार मुश्तरका खान्दान नहीं साबित होता-जगप्रसादराय बनाम मु.सिंगारी 23 A. L. J. 97; 2 0. W. N. 229; 86 I.C. 1224 L. R. 6 P.C. 111; 27 Bom. L. R. 7608 29 C. W. N. 941; A. I. R. 1925 P.C. 93.2); 49 M. L.J.162 (P.C.) ____ बटवारा-जब किसी मुश्तरका खान्दानका कोई मेम्बर खान्दानसे अलाहिदा हो जाता है, तो दूसरे मेम्बर बिना किसी खास प्रबन्धके मुश्तरका रह सकते हैं। यदि खान्दानके मुश्तरका होने में झगड़ा पड़े तो इस बातपर कि अलाहिदगीके बाद मी व्यवसाय मुश्तरका होता था तसफ़ीहा किया जायगा। जंगबहादुरसिंह बनाम तेजबहादुरसिंह 89 I. C. 556. शिरकतकी कल्पनाका सुबूत-रघुनाथसिंह बनाम बासुदेवप्रसाद 3 Pat. L. R. 328; A. I. R. 1925 P. 823. जब परिवारका कोई एक व्यक्ति अलग हो जाय, तो परिवारके संयुक्त रहनेकी कल्पना शेष नहीं रह जाती। सयुक्त होने या दुधारा मिलनेका इनरारनामा साबित प्रमाणित किया जाना चाहिये--तिरखामल बनाम गुरुजी मल 91 I.C.571(1); A. I. R. 1926 Lah. 185.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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