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________________ [ आठवां प्रकरण दफा ५५० सरकारी मालगुज़ारी देनेवाली जायदादका बटवारा सरकारी मालगुज़ारी देने वाली जायदादके बटवारेकी डिकरी दीवानी अदालत दे सकती है परन्तु उस डिकरीकी तामील नहीं करा सकती, देखोमेहरबान रावत बनाम बिहारीलाल 23 Cal. 679. दत्तात्रेय बिट्ठल बनाम महादा जी परशुराम 16 Bom. 528; 8 C. L. R. 367; 11 Bom. 662; 7 Cal. 153. ६५२ बटवारा लेकिन अगर वह डिकरी इस शर्तसे की जायकि बटवारा या उस जायदादका कोई हिस्सा अलग करनेपर भी सरकारी मालगुजारी बिना बटी हुई दी जायगी तो कलेक्टर उस जायदादका बटवारा या उस जायदादका कोई हिस्सा अलग कर देगा उसकी यह कार्रवाई जाबता दीवानी एक्ट नं० ५ सन १६०८ ई० की दफा ५४ के अनुसार होगी । अगर सरकारी मालगुज़ारी बांटकर अलग अदा करनेकी प्रार्थना न की जाय तो अदालत दीवानी ऊपर कही हुई अपनी डिकरी की तामील करा सकती है, देखो - योगेश्वरी देवी बनाम कैलाश चन्द्रलहरी 24 Cal. 725; 1. C. W.N. 374. गुजरातकी ताल्लुकेदारी जायदाद के बटवारेकी दरख्वास्त बम्बई हाईकोर्टके सिवाय अन्य कोई दीवानी अदालत नहीं सुन सकती -- Act. 6 of 1888 S. 21. दफा ५५१ मालगुजारी के कानून सरकारी मालगुज़ारी अदा करने वाली जायदादोंके सम्बन्धमें निम्न लिखित क़ानून हैं ( १ ) अजमेर के वास्ते - रिजोल्यूशन नं० २ सन् १८५७ ई०. ( २ ) संयुक्त प्रान्तके वास्ते-एक्ट नं० ३ सन् १६२६ ई० . ( ३ ) मध्य प्रदेश के वास्ते---एक्ट नं० १८ सन् १८८९ ई० की दफा १३६ जिसका संशोधन हुआ है; एक्ट नं० १६ सन् १८८६ ई० की दफा २६. (४) बम्बई के वास्ते--एक्ट नं १० सन् १८७६ ई०६ एक्ट नं० ५ बम्बई कौंसिल सन् १८७९ ई० की दफा ११३; ११४; एक्ट नं० ६ सन् १८८८ ई०. (५) मदरासके वास्ते -- मदरास रिजोल्यूशन नं० २ सन् १८०३ ई०. (६) बङ्गालके वास्ते - - रिजोल्यूशन नं० ८ सन् १७६३ ई० और नं० ७ सन् १८२२ ई०; एक्ट नं० ५ सन् १८६७ ई०.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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