SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 724
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा ५३३] अलहदगी और बटवारा कि वह कुर्की से पहले हुआ है। जब पुत्र पितासे अलग होगया हो तो पिताके कर्जाकी पाबन्दी उस पुत्रकी जायदाद पर नहीं पड़ती-25 A. L. J. 409%8 1927 A. I. R. 714 All. संयुक्त हिन्दू परिवारकी अवस्थाके बटवारेके लिये यह पर्याप्त है कि बटवारा करनेका सन्देह रहित इरादा हो। किन्तु यह कहना यथार्थ नहीं है कि एक भाईके अलाहिदा हो जाने या अलाहिदा होनेका इरादा ज़ाहिर करने का यह अर्थ है कि अन्य भाईभी अलाहिदा समझे जांय-बावन्ना संगप्पा बनाम परव निंगवासप्पा A. I. R. 1927 Bom. 68. दफा ५३३ हिस्सेका ख़रीदार __ जब किसी मुश्तरका खान्दानकी जायदादका कोई हिस्सा किसी दूसरे ने खरीद किया हो या नीलाममें लिया हो जो कोपार्सनर न हो तो अगर वह कानूनी मियादके अन्दर दावा करके बटवारा न कराले तो उसका हिस्सा चला जायगा। यानी पीछे वह दावा नहीं कर सकता-10 Bom. H. C. 444. यह बात भी स्पष्ट है कि जिस कोपार्सनरका हिस्सा उसने खरीद किया हो अगर वह दावा करनेकी मियादके अन्दर मर जाय तो फिर खरीदारका हिस्सा चला जायगा या नहीं, देखो दफा ४५०. । कोपार्सनरी जायदादमें किसी एक कोपार्सनरके हिस्सेके खरीदारको यह अधिकार है कि वह केवल उतने हिस्सेके बटवारेके लिये दावा दायर करे, परन्तु शर्त यह है कि खरीदारको वह हिस्सा खरीदना जायज़ रहा हो और यह कि उस हिस्सेका बटवारा करनेसे बाकी जायदादको हानि न पहुंचती हो, देखो-हरीकृष्ण चौधरी बनाम वेंकट लक्ष्मीनरायन 34Mad. 402. लेकिन हर एक कोपार्सनरको यह अधिकार है कि कोपार्सनरी जायदादमें अपना हिस्सा निश्चित कराये और बटवारा कराये किसी कोपार्सनरके दावेमें यह नहीं देखा जायगा कि जायदाद को नुकसान पहुंचता है या नहीं, देखो-23 Bom. 184; 24 Bom. 123; 28 All. 39, 34 Mad. 269; 11 Cal. 396. कोपार्सनरके हिस्सेके खरीदारपर कोई भी दूसरा कोपार्सनर उतने हिस्सेके बटवारा हो जानेका दावा कर सकता है-28 All. 50, 16 Mad. 983 19 Mad. 267. जब कोपार्सनरी जायदादके किसी हिस्सेपर उस हिस्सेके खरीदारका किसी तरहसे कब्ज़ा हो जाय तो फिर उसका कब्ज़ा बना रहेगा और बाकी जायदादके हानि लाभका ख्याल नहीं किया जायगा, देखो-15 Mad. 234.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy