SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 722
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा ५३१-५३२] अलहदगी और बटवारा ६४१ बटवारा होनेके बाद जब यह मालूम हो कि कोई जायदाद जो किसी कोपार्सनरके हिस्सेमें पड़ चुकी है वह कोपार्सनरी जायदादकी नहीं है या उस जायदादपर किसी जायज़ खर्चका बोझ है तो वह कोपार्सनर जिसके हिस्से में वह जायदाद पड़ी हो फिरसे बटवारा करानेका अधिकार रखता है या कमसेकम वहयह करसकता है कि दूसरे हिस्सेदारोंसे उसजायदादके बदले में रुपया या दूसरी जायदाद लेवे, देखो-मारूती बनाम रामा 21Bom.333; लक्ष्मण बनाम गोपाल 23 Bom. 385. जब किसी बटवारेमें बेईमानी करके नाबालिग़का हिस्सा कम नियत किया जाता है तब नाबालिग्रको अधिकार है कि दुबारा बटवारा कराये ताकि उसका सही हिस्सा उसे मिल जाय । ऐसे मामलेमें मियादका प्रश्न नहीं उठता अर्थात् मियाद उस समयसे शुरू होगी जब उसे बेईमानीका ज्ञान हुआ हो, देखो-104 I. C. 4937 1927 A. I. R. 305 Nag. बटवाराकी कल्पना-एक मेम्बरका अलाहिदा होना पर दूसरे मेम्बर पर असर पड़ता है। दुवारा मुश्तरका होनेपर सुबूतकी जिम्मेदारी उसीपर होगी जो यह बयान करता हो एक मेम्बर द्वारा, जिसने बटवारेकी नालिश दायरकी हो, नालिशका वापस लेना-अलाहिदगीकी तारीख साबित करना चाहिये-असर-पलानी अम्बल बनाम मुथुवेंकटचल मोनीगर 48Mad.254; L. R. 6 P. C. 143; 23 A. L.J. 7463, 52 I. A. 83; 6 Pat. L. I. 133; 21 L. W. 439, 27 C. W. N. 846; ( 1925) M. W. N. 330; 3 Pat. L. R. 126; 27 Bom. L. R. 735; 87 I. C. 333 (2); A. I. R. 1925 P. C. 49; 48 M. L.J. 83. (P. C.) जब किसी हिन्दू खान्दानमें बटवारा हो जाता है, तो पहली बात जो समझी जाती है वह यह है कि बटवारा कामिल है। यदि बटवारेके पश्चात् कोई मेम्बर यह कहे कि अमुक जायदाद बिना बटे हुयेही रह गई थी, तो उसे इसका सुबूत देना होगा-रोशनलाल बनाम महराजप्रसाद 89 I.C. 344; L. R.6 All. 512. कल्पना-किसी हिन्दू मुश्तरका खान्दानके बटवारेके पश्चात् कुछ सदस्योंके मुश्तरका होनेकी कल्पना नहीं की जा सकती। यदि कोई इस प्रकार मुश्तरका होनेका दावा करता है, तो यह उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह उसका सुबूत दे-रघुनाथप्रसादसिंह बनाम बासुदेवप्रसादसिंह 88 I. C. 1012; 6 P. L. J. 764; A. I. R. 1925 Pat. 823. दफा ५३२ बटवारेमें इरादेका प्रश्न जब कोई कुटुम्ब बटवारा करके अलग अलग हो जानेका इरादा करले बस वही हिन्दूलॉ के अनुसार जायदादका पटवारा निश्चित समझा जायगा, 81
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy