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________________ दफा ५२१ ] हिस्सोंके निश्चित करनेका क़ायदा इस वंशवृक्षमें + यह निशान जिनमें लगा है वे सब मर चुके हैं। इस मुश्तरका खान्दानमें मूल पुरुष अ, है और उसके चार पुत्रोंकी उनकी सन्तानों सहित चार भिन्न भिन्न शाखाएं हैं । अ, के मरनेके पहिले ख, ग, च, घ, छ, ज, मर चुके थे । घ की शाखाका एकमात्र जीवित वारिस ठ, मूल पुरुष अ, से चौथी पीढ़ी से बाहर है । इसलिये वह कोपार्सनरीकी सीमा के भीतर नहीं है । बटवारेके वक्त मुश्तरका जायदाद ऐसी शकलमें सिर्फ तीन शाखाओं में तकसीम होगी और वह ( Per Stirpes ) बंटेगी अर्थात् क को एक तिहाई हिस्सा मिलेगा, और दूसरे तिहाई हिस्सेको ख, के पुत्र ख १, और ख २, आपसमें बराबर बांट लेंगे यानी उन दोनोंमें से हर एक को जायदादका छठवां हिस्सा मिलेगा, और तीसरे तिहाई हिस्सेको ग, के पोते झ १, झ २, झ ३, आपस में बराबर बांट लेंगे अर्थात् उनमें से हर एकको जायदादका नवां हिस्सा मिलेगा। यानी सब हिस्सेदारोंको जायदाद में निम्न लिखित हिस्से मिलेंगे - क ख १, ख २ झ १, हैं; झ२, है; झ३, है. ( २ ) अ, मरा और उसने चार पोते ग, घ, च, और छ को और नौ परपोते छोड़े नीचे वंशवृक्षमें दिखाया गया है + यह निशान जिनमें लगा है वे सब मर चुके हैं । क+ ग‍ अ+ ख+ ६२५ छ ग‍ गरे घ१ च १ च२ छ१ छ२ छ३ सब कोपार्सनर बटवारा चाहते हैं और एक दूसरेसे अलहदा हो जाना चाहते हैं । इस मुश्तरका खानदानमें दो शाखायें अ, के पुत्रोंकी हैं। इसलिये मुश्तरका जायदाद दो भागों में पहिले तकसीम करदी जायगी यानी क, और ख, की शाखा में । क, की शाखायें और ख, की शाखामें है । अब क, की शाखामें क, का पुत्र ग, और पौत्र ग१, गर, गरे, में चारों क, केई के हिस्से में बराबर बराबर हिस्सा पावेंगे अर्थात् हिस्सा हर एकको मिलेगा यानी कुल जायदाद में से हर एक है हिस्सा पायेगा । इसी तरहपर ख, की शाखा में उसके पुत्र घ, च, छ, तीनो का हिस्सा हर एक पावेंगे यानी हर एकको हिस्सा मिलेगा । घ, और घ१, दोनों मिलकर के हिस्से में से बराबर बराबर लेंगे यानी हर एकको हिस्सा मिलेगा । च, और च१, च२, ये तीनों हिस्से 79
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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