SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 704
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा ५१६-५२१] हिस्सोंके निश्चित करने का कायदा ६२३ दफा ५२० अधिकार कब काममें लाया जायगा जब तक कि बटवारा या अलगाव न हो जाय तब तक कोई सधवा या विधवा अपना हिस्सा नहीं मांग सकती-सुन्दइबहू बनाम मनोहरलाल उपाध्याय 10 C. L. R. 79. तथा स्ट्रेन्ज हिन्दुला Vol. 1 P. 188-189. अगर जायदादके मुनाफेका एक हिस्सा उसके भरणपोषणके लिये नियत किया जा चुका हो तो भी वह बटवारे या अलगाव होनेसे पहिले हिस्सा नहीं मांग सकती। बटवारा मुकम्मिल हो जानेसे पहिले वह इन्तकालका हक भी नहीं रखती। जब बटवारा होगया हो तो फौरनही वह अपने हिस्सेका दावा कर सकती है, देखो-रामजोशी बनाम लक्ष्मीबाई 1 Bom. H. O. 189. . मा फरीक बनाई जायगी-जब बेटा बापपर दावा करे तो बापके साथ उसकी स्त्री भी फरीक मुक़द्दमा बनाई जायगी-ललजीतसिंह बनाम राजकुमार सिंह 2 B L. B. 378-383; 20 W. R. C. R. 336-340. पुत्रोंके परस्पर अगर बटवारेका दावा हो तो भी उनकीमा फरीक मुकद्दमा बनाई जायगी। बटवारेके समय मा का हिस्सा अगर अलग न किया गया हो तो उससे बटवारा नाजायज़ नहीं होता-गनेशदत्त ठाकुर बनाम जीवाचठकुराइन 31 I. A. 15; 81 Cal. 262; 8 C..W. N. 146; 6 Bom. L. R. 1.मा अपना हिस्सा अलग न किया जाना मंजूर कर सकती है वह किसी खास पुत्र या पौत्रके साथ रह सकती है। कोपार्सनरोंके हिस्सोंके निश्चित करनेका कायदा दफा ५२१ हिस्मोंके निश्चित करनेके सिद्धान्त खान्दान मुश्तरकामें बटवारेके समय सब कोपार्सन के हिस्से नीचे लिखे नियमों के अनुसार निश्चित किये जाते हैं (१) बाप और बेठोंके परस्पर बटवारा होनेके समय हर एक बेटा बापके हिस्सेके बराबर हिस्सा पाता है उदाहरणके लिये जैसे कि तीन बेटे हों और बाप हो तो जायदाद चार बराबर हिस्सोंमें बटेंगी। याज्ञवल्क्य कहते हैं भूपितामहोपात्ता निबंघोहब्यमेवच बस्त्रस्यात्सदृशं स्वाम्यं पितुः पुत्रस्य चैवहि-व्यव०१२०
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy