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________________ स्त्रियोंका अधिकार ६२१ दफा ५१६-५१८ ] पिताके मरने पर बटवारेमें माता भी एक पुत्रके हिस्सेके बराबर हिस्सा पायेगी अगर उसे कोई स्त्रीधन न दिया गया हो । दिया गया हो तो आधा हिस्सा पायेगी । हिन्दूलों में 'अपि' शब्द से यह अर्थ निकाला गया है कि माता दादी, परदादी भी इसी प्रकार हिस्सा पायेंगी । 'अर्द्धाश' शब्दका व्यापक अर्थ यह माना गया कि उसे इतना हिस्सा बटवारेमें दिया जाय जो उसका स्त्री धन मिलाकर एक पुत्रके हिस्सेके बराबर हो जाय । भरण पोषणका खर्च देते समय भी इस बातका ध्यान रखा जायगा । लेकिन यदि विधवाको कोई जायदाद अपने किसी पुत्रसे उत्तराधिकार में मिली हो तो वह जायदाद बटवारे के समय हिसाब में शुमार नहीं की जायगी -- 3 Cal. 149; 36 Cal. 75; 12 C. W. N.1002. यदि कोई खास तौर से इक़रार न किया गया हो तो सधवा या विधवा को बटवारे के समय जो हिस्सा मिलेगा उसमें उसके लाभका अधिकार सीमावद्ध रहेगा दायभाग और मिताक्षराला दोनोंमें यह बात ऐसेही मानी गयी है। अर्थात् वह हिस्सा जो बटवारेमें मिलता है उस स्त्रीके स्त्रीधनके वारिस नहीं पाते और न वह स्त्री उस हिस्सेको वसीयतके द्वारा किसीको दे सकती है 11 C. W. N. 89. उस स्त्रीके मरनेपर वह हिस्सा उसके बेटों और पोतों को या उनके वारिसोंको वापिस मिल जाता है कई मामलों में इस प्रश्नपर वादविवाद हुआ है, देखो - देवी मङ्गलप्रसादसिंह बनाम महादेवप्रसाद सिंह ( P. C.) 16 C. W. N. 409; 14 Bom. L. R. 220; 37Cal. 87; 15 C. W. N. 945-952. स्त्री वारिसोंके क़ब्ज़ेमें यदि जायदाद हो-जब किसी जायदादको स्त्री वारिसोंने अपने जीवनकाल के अधिकारसे प्राप्त किया हो, तो वे उसे अपने अपने हिस्सोंका पृथक उपभोग करनेकी गरज बांट सकती हैं, किन्तु वे भावी वारिसोंके अधिकारोंमें कोई कमी नहीं कर सकतीं - - मु० लोराण्डी बनाम मु० निहालदेवी 6 Lah. 124; 26 Punj. L. R 769; A. I. R. 1925 Lah. 403. दफा ५१८ कौन स्त्री बटवारेमें हिस्सा नहीं पाती कोई स्त्री जो कोपार्सनर नहीं है वह बटवारेके सयय हिस्सा नहीं पाती सिवाय मा दादी और कहींपर परदादी के । बहन - याज्ञवल्क्यने कहा है कि संस्कृतास्तु संस्कार्या भ्रातृभिः पूर्वसंस्कृतैः भगिन्यश्च निजादंशाद्दत्वांशंतु तुरीयकम् । व्यव० १२४
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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