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________________ [ आठवां प्रकरण उदाहरणरमेश 1 महेश ( १ ) एक मुश्तरका हिन्दू खान्दानमें रमेश, महेश, और सुरेश रहते हैं, सुरेशका बाप महेश और दादा रमेश है । सुरेश ने मौरूसी मुश्तरका जायदाद के बटवारेका दावा अपने बाप महेश और दादा रमेशपर किया । अब प्रश्न यह है कि क्या सुरेश बटवारेका ऐसा दावा कर सकता है ? देखो बम्बई हाईकोर्ट के अनुसार ऐसा दावा नहीं हो सकता क्योंकि सुरेशका बाप महेश ज़िन्दा है और वे दोनों शामिल शरीक रहते हैं मगर इलाहाबाद हाईकोर्टके अनुसार सुरेश ऐसा दावा कर सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्टने यह माना कि पोतेका हक़ उसकी पैदाइशंसे मुश्तरका जायदाद में जब था तो वह अपना हिस्सा बटा पानेके लिये मजबूर कर सकता है। इसी रायको मदरास हाईकोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्टने भी पसन्द किया है, देखो- - 18 Mad. 179--183; 31 Cal. सुरेश 111-128. ६०६ बटवारा गणेश रमेश महेश (२) मुश्तरका खान्दानमें गणेश पहिले मर गया, अब रमेश और और उसका लड़का सुरेश तथा भाई महेश रहते हैं । सुरेश ने मौरूसी मुश्तरका जायदादके बटवारेका दावा अपने बाप रमेश और अपने चाचा महेशपर किया । अब प्रश्न यह है कि क्या ऐसा दावा हो सकता है ? बम्बई हाईकोर्ट के अनुसार सुरेश ऐसा दावा नहीं कर सकता क्योंकि उसका रमेश अपने भाई महेशके साथ मुश्तरका रहता है इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुसार सुरेश ऐसा दावा सकता है, देखो -- सरताज बनाम देवराज 10 All. 272; 15 I. A. 51. सुरेश प्रपौत्र -- साधारण तरीक्रेपर, हिन्दू पिता और पुत्रके बटवारे में, प्रपौत्र यद्यपि वे जन्मसे मुश्तरका खान्दानके हिस्सेदार होते हैं, किन्तु वे अपने पिता के ही मध्यसे, जिसके साथ बटवारेके बाद भी उनका मुश्तरका होना समझा जाता है, अपना अधिकार प्राप्त करते है - जादव भाई बनाम मुल्तानचन्द 27 Bom. L. R. 426; 87 I. C. 936; A. I. R. 1925 Bom. 380. दफा ५०६ स्त्रियोंके परस्पर बटवारा जब दो या दो से ज्यादा स्त्रियां किसी जायदादकी मुश्तरकन् मालिक हों जैसे विधवायें या बेटियां जो उत्तराधिकारके अनुसार मालिक हुई हैं ( दफा ६०४, ६०५ ). तो उनमेंसे हर एक बटवारा करा सकती हैं--सुन्दर बनाम पार्वती 16 I. A. 186; 12 All. 51; 11 Mad. 304; 33 All. 443; 24 Mad. 441; 3 Mad. H. C. 424. लेकिन इस बटवारेसे सरवाइवरशिप (दफा ५५८ ) के हक़पर कुछ असर नहीं पड़ेगा, देखो -- 1 I. A. 212; 8
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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