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________________ दफा ४४५ ] मुश्तरका जायदादका इन्तक़ाल दफा ४४५ बचे हुए ( आख़िरी ) कोपार्सनर के द्वारा मुश्तरका जायदाद का इन्तक़ाल अगर किसी मुश्तरका खान्दानमें आखिरी आदमी जीवित रह गया हों और उसके कोई लड़के, पोते, परपोते न हों तो वह अकेला मुश्तरका खानदानकी जायदादका बतौर अपनी अलहदा जायदाद के मालिक होता है । उसे उस जायदाद के बेच देने या रेहन कर देनेका बिना किसी कानूनी ज़रूरतके भी पूरा अधिकार है वह उस जायदादको दानके द्वारा अथवा वसीयत के द्वारा दे सकता है, देखो- -6 M. I. A. 309; 3 Bom. H.C A.C. 6. ५२६ अगर उस बचे हुये आदमीके, जिसने अपनी जायदादको बेंच दिया हो पीछे कोई लड़का पैदा हो जाय तो वह लड़का अपने बापके किये हुये उस इन्तक़ालको मंसूरन नहीं करा सकता जो उसके पैदा होने से पहिले किया गया था, अगर उस आदमीने मुश्तरका जायदादकी इन्तक़ाल बज़रिये वसीयतनामाके किया हो तो यह साफ़ नहीं हैं । पहिले यह सिद्धान्त समझ लो किं वसीयत का असर और हक्कउस वक्त से पैदा होता है जबकि वसीयत करनेवाला मरे । इसलिये दूसरा कोई कोपार्सनर अगर वसीयत करने के पीछे, तथा वसीयत करनेवाले के मरने से पहिले पैदा होगया- -या गोद लिया गया हो तब वह वसीयत जहां तक कि उसमें मुश्तरका खान्दानकी जायदादका सम्बन्ध रखा गया, रद हो जायगा । और वह मुश्तरका जायदाद सरवाइवरशिप ( दफा ५५८ ); के हक़ के द्वारा पीछे पैदा हुये या गोद लिये गये कोपार्सनर के पास चली जायगी । इसका नतीजा यह होता है किं जहांपर आखिरी मुश्तरका खान्दानके आदमीने, मुश्तरका खान्दानकी जायदादको बज़ रेये वसीयत के इन्तक़ाल किया हो तो वह वसीयतनामा, वसीयत करनेवाले आदमीके वसीयतकी तारीख के पश्चात् लड़का पैदा होनेसे या गोद लेनेसे, या दूसरे मरें हुए कोपार्सनरी किसी विधवाके गोद लेनेसे जो गोद वसीयत करने वाले के पहिले लिया गया हो, या उसके मरनेके बाद लड़का पैदा होनेसे, या मरे हुये कोपार्सनर के लड़का पैदा होनेसें, रद्द हो जायगा और बे असर हो जायगा, देखो - बच्चो बनाम मनकोरीबाई 31 Bom. 373, 341. A. 107, 12 Bom 105; 8 Mad. 89. संयुक्त खान्दान- जहांकि बटवारेकी नालिश दायर होनेके पश्चात्, उस सदस्यने जो खान्दानका मुन्तज़िम था, खान्दानकी तरफ से, कुछ प्रामिजरी नोटका क़र्ज़, जो कि उसने खान्दानके फ़ायदेके लिये लिया था, चुकाया, और असली क़र्ज़को बाक़ी रखनेके लिये कुछ प्रांमिज़री नोटों को फिर लिख दिया । 67
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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