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________________ १८० मुश्तरका खान्दानं [छठवां प्रकरण मौजूह हो तो भी अलहदा जायदाद नहीं मानली जायगी; देखो 12 Bang: L. R. ( P. C.) 317; लेकिन अगर मुश्तरका खानदान के एक आदमी ' महेश' के नाम पर कोई जायदाद हो और यह भी मालूम होकि उस खानदानके दूसरे लोगों ने अपने रुपया से अपनी कोई अलग जायदाद कमाई हो, और वे खानदान के लोगों से बिना सलाह किये उसका प्रबन्ध करते हों और महेशके विषय में भी खानदानने दुनिया को यह दिखाया हो कि महेश उस जायदादका अंलग अकेला मालिक है, तो उस शकलमें यह अनुमान करना कि जायदाद मुश्तरका है कमजोर हो जायगा। और फिर उस जायदाद को मस्तरका साबित करनेका बोझ उन लोगोंपर है जो उसे मुश्तरका बयान करते हों देखो धरमदास बनाम श्याम सुन्दरी 3 M. I. A. 2297 240; गोपीकृष्ण बनाम गंगाप्रसाद 6 M. I. A. 53; 10 M. I. A. 403; 411; 412; 13 M. I. A. 542350al. L. 11.47736 1. A. 233; 236: 18 All. 176% अतरसिंह बनाम ठाकुरसिंह ( 1908 ) 35 I: A: 296; 35 Cal. 1039. ऐसा मानों कि अ, उसके दो पुत्र 'क' और 'ख' मुश्तरका खानदान की हैसियत से रहते हैं यह साबितहै कि सन् १८६५ में बापके हाथमें मौरूसी जायदादका बहुत कुछ भाग था सन् १८६५. ई० में बापने एक गैरमनकूला जायदाद अपने नामसे खरीदी और वसीयतसे उसने यह कहकर कि यह खरीदी हुई जायदाद उसकी कमाईकी है उस बापने क, को देदी । इस मामले में अनुमान यही है कि बापने मौरूसी जायदादकी आमदनी से वह जायदाद शरीदी थी इस लिये वह खरीदी हुई जायदाद भी मुश्तरकाहै । वह मुश्तरका नहीं है इसबात के साबित करनेका बोझ 'क' पर है। देखो लालबहादुर बनाम कन्हैयालाल 1907 ) 29 All. 244; 34 I: A. 6 वसीयतनामा में 'बापका यह लिखना कि वह जायदाद उसकी खुद कमाई की थी यह काफी नहीं है और न वह बतौर गवाही के हैं यानी ऐसा लिख देनेसे कोई असर नहीं होगा; देखो दफा ३६७. (५) जब किसी मुकद्दमे में यह साबित किया गया हो या स्वीकार .. किया गया हो कि बटवारा हो चुका है, तो यह बात कि जायदादका एक हिस्सा अब भी मुश्तरका है, इसबात के साबित करनेका बोझा उसी पक्षपरहै जो मुश्तरका बयान करताहो अर्थात् बटवाराहो जाने के बाद यह नहीं माना जायगा कि फिरभी कोई जायदाद मुश्तरका रह गई थी देखो-विनायक बनाम दत्तो 25 Bom. 367. (६) जब किसी मुकदमेमें यह साबित किया गया हो या स्वीकार किया गया हो कि मुश्तरका जायदादका कुछ बटवारा हो चुकाहै तो अनुमान
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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