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________________ [ छठषां प्रकरण मानता है परन्तु यदि खान्दानके किसी दूसरे आदमीने ऐसी जायदाद प्राप्त की हो तो अगर वह जायदाद मनकूला हो तो वह उसकी अलहदा या खुद कमाई हुई जायदाद मानी जायगी। लेकिन अगर जायदाद गैर 'मनकूला हो तो वह आदमी उस जायदाद का चौथाई भाग पुनः प्राप्त करनेके एवज़में इनामके तौरपर लेगा, और बाक़ी जायदाद पुनः प्राप्त करने वाले पुरुषके सहित सबकोपार्सनरोंमें बराबर बाट दी जायगी. देखो - बाजावा बनाम वक (1909) 84 Bom. 106; 10 Bom. 528 विशालाक्षी बनाम अन्नासामा 5 Mad. H. C. 150. विश्वेश्वर बनाम सीतलचन्द्र 6 W 1. 69. श्यामनरायन बनाम रघुबीरदयाल 3 Cal. 508. दुलाकी बनाम कोर्ट आफ वार्डस 14 W.R.34; 4 Mad. 250, 259. ४५८ मुश्तरका खान्दान यह पूर्वोक्त क़ायदा सिर्फ ऐसी मुश्तरका जायदादमें लागू होता है ज़ो पहिले मुश्तरका खान्दानसे निकल गई हो लेकिन पीछे एक कोपार्सनर ने मुरा खान्दानकी सहायता बिना एक गैर आदमीसे जो मुश्तरका खानदानके विरुद्ध उस जायदादपर क़ाबिज़ था पुनः प्राप्त की हो । यह क़ायदा और किसी तरह के मामले से लागू नहीं होगा । एक मुकद्दमे में मुश्तरका खानदानकी कुछ जायदाद उस खानदानकी एक शाखा के एक आदमीको किसी समझौते के अनुसार देदी गई थी; और पीछे खानदानकी एक दूसरी शाखाके एक आदमीने अपने रुपयासे उस जायदाद को पुनः प्राप्त कर लिया तो वह जायदाद उस प्राप्त करने वाले आदमी की खुद कमाई हुई जायदाद मानी गई और उसके भाईका उस जायदाद में कुछ भी हिस्सा नहीं माना गया। इस मुकदमे में भाई की तरफसे यह कहा गया था कि जायदाद का एक चौथाई भाग पुनः प्राप्त करने वाले भाईको दे दिया जाय और बाकी जायदाद फिर दोनों भाइयों में बराबर बांट दी जाय परन्तु यह नहीं माना गया- 34 Bom, 106; दफा ४२२ मुश्तरका जायदाद के मामलों में अदालतका अनुमान जब कोई हिन्दू यह कहकर, किसी जायदाद के क़ब्ज़ा पाने का दावा करे कि वह जायदाद मे कमाई हुई है और अलहदा है, और मुद्दालेह उस जायदादको मुश्तरका बतलाये । श्रथवा जब कोई हिन्दू यह कहकर कि जायदाद मुश्तरका है जायदाद के बटवारेका दावा करे और मुद्दअलेह उसे अपनी कमाई हुई जायदाद कहे तो ऐसी सूरत में यह सवाल उठता है कि साबित करने का बोझा किल पक्ष पर है । इस विषय के मुख्य २ नियम नीचे लिखे हैं तथा इस किताब की दफा ३६७ भी देखो. ( १ ) जबतक इसके खिलाफ़ साबित नकिया जाय तबतक यही माना शायगा कि हर एक हिन्दू खानदान, खानपान, पूजापाठ, और जायदाद में
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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