SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 553
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२ मुश्तरका खान्दान [ छठवां प्रकरणं ( १ ) जो जायदाद संप्रतिबंधदाय ( देखो दफा ४१३ ) के तौरपर प्राप्त हुई हो अर्थात् जो बाप, दादा, परदादा के अलावा किसी दूसरे आदमी से प्राप्त हुई हो - ( २ ) दान - अगर बाप प्रेमवश अपने किसी लड़केको मौरूसी मनकूला जायदादका कुछ थोड़ा सा हिस्सा बतौर दान या हनामके दे दे । बम्बई और इलाहाबाद हाईकोर्टने इसे नहीं माना देखो - नानाभाई गनपतराव धैर्य्यवान बनाम चर जवाई 2 Bom. 122, 131, 132. इस मुक़द्दमे में सब पुत्रोंकों दान शराकत में दिया गया था इसलिये जायदाद मुश्तरका मानी गयी; परसोतमराव तांतिया बनाम जानकीबाई 29 All 354. और इस किताबकी दफा ४१७ - ४. (३) सरकारले इनाममें मिली हुई जायदाद - जो जायदाद सरकार की ओरसे किसी मुश्तरका खानदानके एक आदमीको मिली हो तो अगर इनामके पत्रमें यह इरादा न जाहिर किया गया हो कि वह जायदाद सब खानदान वालोंके लिये है तो वह जायदाद इनाम पाने वालेकी अलहदा समझी जायगी - कटाना न चैय्यर बनाम राजा शिवगंग 9M. I. A. 548, 610. महन्त गोविन्द बनाम सीताराम 21 All 53, 25 I. A. 195. (४) जो जायदाद मुश्तरका खानदानकी किसी आदमीने, मुश्तरका खानदान की जायदादकी आमदनीकी सहायता बिना विद्वता प्राप्त करके; सिर्फ अपने उद्योगसे हासिल की हो अलहदा जायदाद होगी, देखो दफा ४२०. (५) वह मुश्तरका खानदानकी जायदाद जो खान्दानसे निकल गयी हो और फिर जिसको मुश्तरका खानदानका कोई आदमी, मुश्तरका खानदान के धनकी सहायता बिना प्राप्त करे । ( ६ ) अलहदा जायदादकी आमदनी और उस आमदनीसे खरीदी हुईं दूसरी जायदाद भी अलहदा जायदाद है; कृष्णाजी बनाम मोरोमहादेव 15 Bom. 32. (७) जब कोई जायदाद मुश्तरका खान्दानकी किसी ऐसे आदमीके पास हो जिस जायदाद के सब हिस्सेदार मर चुके हों और वह तनहा मालिक हो, तथा किसी हिस्सेदारकी विधवा जिसे गोद लेनेका अधिकार बाक़ी हैं ज़िन्दा न हो तो वह जायदाद अलहदा समझी जायगी। देखो -- बच्चो बनाम मानकोरी बाई 01 Bom. 373; 43I. A. 107. (८) जब किसी मुश्तरका खानदानके किसी आदमीको बटवारा में उसके हिस्से की जायदाद मिली हो और उसके लड़के, पोते, परपोते न हों तो वह अलहदा होगी।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy