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________________ दफा ४१७] कोपार्सनरी प्रापर्टी WM पैदाइशसे कोई हक़ नहीं रहेगा और न वह उस जायदादका बापसे बटवारा करा सकेगा और अगर बाप लड़केके जीतेजी उस जायदादको इन्तकाल कर दे तो लड़का उसे नहीं रोक सकता, देखो-जमुनाप्रसाद बनाम रामप्रताप ( 1907 ) 29 All. 667. मदरास हाईकोर्ट पैतृक सम्पत्तिका अर्थ उस जायदादसे लगाती है जो किसी पूर्वजसे मिली हो चाहे वह पूर्वज पिताकी तरफसे हो या माताकी तरफसे हो । लेकिन मामा पूर्वज नहीं माना गया और इसी लिये मामासे पायी हुई जायदाद पैतृक सम्पत्ति नहीं मानी जाती मदरास हाईकोर्टका यह मत है, देखो-27 Mad. 300. मिस्टर मेन साहेबने कहा है कि "जो जायदाद नानासे मिली हो नगड़दादासे मिली हो, या किसी पुजारीसे, या सहपाठीले वरासतमें मिली हो, तो वह जायदाद मुश्तरका खान्दानकी नहीं होगी, देखो-मेन हिन्दूलॉ की दफा २७५" मिस्टर ट्वेिलियनने कहा है कि जब अनेक लड़कियों के अनेक लड़के भिन्न भिन्न खान्दानमें हो और उस समय नानाकी जायदाद उत्तराधिकारमें उन सब नवासोंको मिले तो उस सूरतमें सब नवाले अलहदा अलहदा लेगे और कोपार्सनरी नहीं मानी जायगी, देखो-दिवेलियन हिन्दूलॉ पेज २३३ मिस्टर घारपुरेने कहा है कि-जब कोई जायदाद उत्तराधिकारके अनुसार नानासे मिलती है तो सब नवासे उसे सरवाइवर शिपके अनुसार नहीं लेंगे और उनमेंसे एकके मरनेपर वह जायदाद सरवाइवर शिपके अनुसार नहीं जायगी, देखो-मिस्टर घारपुरे हिन्दूला पेज १२३. जसोदा कुंवर बनाम शिवप्रसाद 17 Cal. 38. (८) अप्रतिबन्ध जायदाद किसके लिये कोपार्सनरी नहीं होगी? मिताक्षरा स्कूलके अनुसार वह सब जायदाद मनकूला या गैरमनकूला चाहे किसी तरहभी प्राप्त की गयी हो मगर वह अप्रतिबन्ध दायकी हैसियतसे मिली हो अर्थात् जो सगे बाप, या दत्तक पितासे, या दादा या परदादासे मिली हो वह जायदाद उस आदमीफी सन्तानके लिये कोपार्सनरी जायदाद होगी मगर उस आदभीके लिये नहीं जिसने वह पायी है । देखो-गुरूमरथी रिड़ी बनाम गुरुम्भल (1908)32 Mad. 86, 88; 11 Ail. 194-198 (६) जो जायदाद विधवा कोरोटी कपड़ाके लिये दी गयी है। अगर कोई जायदाद मुश्तरका खान्दानकी किली विधवा को रोटी कपड़ाके खर्वके लिये देदी गयी हो तो विधवाके मरनेपर वह जायदाद कीपार्सनरीमें शामिल हो जायगी। देखो-बेनीप्रसाद बनाम पूरनचन्द 23 Cal 262-273 मगर वह सूरत इससे भिन्न होगी जब किसी विधवाको अपने पतिसे उत्तराधिकार के अनुसार जायदाद मिली है। (१०) मुश्तरका खान्दान वालोंकी मुश्तरका पूजी-जबकि मुश्तरका खान्दानके सब आदमी जिनके पास मुश्तरका जायदाद है अपनी अलग अलग
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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