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________________ मुश्तरका खान्दान [छठया प्रकरण दफा ३९४ कुल देवता हिन्दुस्थानमें सब हिन्दुओंके हर एक खानदानमें किसी न किसी देवता का विशेष पूजन होता है इन्हें कुल देवता या इष्ट देवता कहते हैं हिन्दुओंके हर एक परिवारमें जुदे जुदे नामके कुल देवताहोते हैं बटवारा करानेके समय कुल देवताकी मूर्ति और मन्दिर तकसीम नहीं किया जा सकता। मगर यह हो सकता है कि अगर मुश्तरका खानदानके लोग चाहें तो बारी बारीसे उस मूर्तिको अपने कब्जेमें रखें, या अदालत उस मूर्तिका कब्ज़ा खानदानके किसी प्रधान पुरुषको दे दे और बाक़ीके सब हिस्सेदार उस मूर्तिके पूजनके अधि. कारी होंगे देखो-दामोदरदास बनाम उत्तमराम ( 1892 ) 17 Bom. 271. मित्कन्थ बनाम नैशरंजन (1874) 14 Beng L. B. 166. और देखो दफा ५२७ में, 'देवस्थान' तथा दफा ८२३. दफा ३९५ मुश्तरका ख़ानदानका सुबूत किसके ज़िम्मे होगा अदालत हिन्दू खानदान मुश्तरकाका होना पहिले मान लेती है इसलिये जो आदमी यह कहता हो कि खानदान मुश्तरका नहीं है, सुबूतका भार उसी के जिम्मे होगा देखो-दफा ३६७। कोपार्सनरी (Coparcenary) दफा ३९६ कोपार्सनरी कोपार्सनरीका अर्थ-कोपार्सनरी शब्द अङ्गरेजी भषाका है इसका अर्थ है संसृष्टि, संसृष्टिता, समांशिता, शुरकाय, एक जद्दीकी जमात । इस कोपा. र्सनरीका हक जिन लोगोंके पास रहता है वह 'कोपार्सनर' कहलाते हैं। कोपासनर'का अर्थ है, समाशिन्, संसृष्टिन्, अंशहर, रिक्थाधिकारिन्, दायाद, शरीक मुंजमिल, शरीक खानदान। कोपार्सनरीका हक़ जिस जायदादमें रहता है वह 'कोपार्सनरी प्रापरटी' कहलाती है ऐसी जायदाद हमेशा मुश्तएका खानदानमें हुआ करती है। मुश्तरका हिन्दू खानदानमें 'कोपार्सनरी' का समझ लेना परमावश्यक है क्योंकि अनेक मौके शामिल शरीक रहनेपर भी जिन लोगोंको कोपार्सनरीका हक़ प्राप्त रहता है, उन्हींका पूरा अधिकार मुश्तरका जायदादपर रहता है। बाक़ीके लोगोंका हक सिर्फ रोटी, कपड़े
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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