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________________ ४२५ नाबालिगी और वलायत [पांचवां प्रकरण wwwwwwwwww -गा. दफा ३६ और ३१ (२) (ए)-नाबालिग्रकी जायदाद बेचनेकी इजाज़त-नाबालिग के लाभका बयनामा किन्तु बिना अदालत की आज्ञा, यदि जायज़है ? अदालतका आज्ञा दिया जाना किन्तु बयनामेके ड्राफ्ठको अदालतके सामने पेश किये जाने के हुक्म के साथ-ड्राफ्टको अदालत के सामने न पेश करनेसे आया बयनामा नाजायज़ है । वलीका उससे कम मूल्य पर, जिसपर उसे बचनेका अधिकार था, बैंचना-उसका परिणाम-रघुनाथसिंह बनाम घोंघे सिंह A. I. R. 1926 Oudh. 169 --दफा ३६--यह वाकया,कि नाबालिग्रका चचा, जिसका हित नाबालिग के हितों के विरुद्ध था और जोकि वली बनाये जानेके लिये उपयुक्त न पाया गया था, तथा उसका और नाबालिग की मा और आजी जो नाबालिग की वली थी का झगड़ा था और वह झगड़ा इतना बढ़ा कि नाबालिग की माता और आजीके ओरके दो आदमी काम आये, यह माता और आजीको वलायत से हटाये जानेके लिये काफी कारण है-बीबी अत्तार कुवंर बनाम सोधीलाल सिंह 8. L. L. J. 201. -गादफा ३६-३१ (२)(ए)-यदि जज किसी नाबालिग्रकी जायदाद के बयनामेकी स्वीकृत इस शर्त पर देदे कि दस्तावेज़ बयनामा उसके सामने स्वीकृत के लिये पेश किया जाना चाहियेतो उस सूरतमें जबकि वह दस्तावेज़ जजके सामने न पेश किया जाय तो वह बयनामा नाजायज़ होगा । (इस फैसलेमें आशवर्थ और सिम्यसन ए० जी० सी० सहमत थे और वजीर हसन ए० जी० सी० असहमत थे) रघुनाथसिंह बमाम धोंधेसिंह 2 0 W. N. 7963 (F. B.). --गा० दफा ३६--वलीकी अलाहिदगी-वली और नाबालिरा के मध्य वैमनस्य-उचितहै कि ऐसी सूरत में जब यह प्रमाणित हो जाय कि वली नाबालिग के प्रति अत्याचार करता है तो वली हटा दिया जाय । जब नाबालिग की ऐसी अवस्था होकि वह मामला समझ सकता हो और उसके सम्बन्ध में अपनी राय रख सकता हो तब उसको ऐसे वली की सरक्षता में रखना जिसके प्रति वह वैमनस्य रखताहो मुनासिब नहीं है देखो-मुरारीलाल बनाम मु० सरस्वती Z Lah. L. J. 141; 26 Punj. L.R..467% 3A. I. R. 1925 Lah. 375. -गादफा ३६--वलीका नियत किया जाना-मुसलमान नाबालिग बहिन के पतिः ( बहनोई) का नियत किया जाना--जाती कानून गुन्ना बनामः दरगाह बाई 851 C. 624; 28.0C. 172; A. I.. R. 1925-Dudh 6 23%3; --गा० दफा ३६ और ४७ (जी)-श्रादेश दफा ३६ के अनुसार-इस दफा के अनुसार वली का हटाया जाना । अपीलके योग्य है। सूरजनारायण सिंह बनाम विशम्भरनाथ भान A. I. R. 1925 Oudh. 260%
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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