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________________ गा०दफा ३५-३६] गार्जियन एण्ड वाईस ४०३ लाभ उठाने वाले ( Beneficialy ) को होते हैं यदि किसी ऐसे अधिकारका उल्लेख ऊपर दीहुई दोनों दफाओंमें न भी हो और ऊपरकी दोनों दफायें नाबालिग़को ऐसे अधिकारोंसे बञ्चित नहीं रख सकेंगी:- ... --दफा ३८ संयुक्त वलियोंमें एकके न रहनेपर दूसरे के अधिकार जहां दो या दोसे अधिक संयुक्त वली हों और उनमें से एक मर जावे तो उसकी मृत्यु के पश्चात् शेष वलीको वही अधिकार उस समयतक बने रहेंगे जबतककि अदालत द्वारा किसी नये वलीकी नियुक्ति न होजावेः--दफा ३९ वलीका हटाया जाना अदालत स्वयंही या किसी सम्बन्धीकी दरख्वास्त श्रानेपर नीचे दिये हुए किसी भी कारणसे उस वलीको हटा सकती है जो अदालत द्वारा वली नियुक्त या घोषित किया गया है या जो वसीयतनामा या किसी दूसरी दस्तावेज़ द्वारा नियुक्त किया गया होः (ए) अपने ट्रस्टका दुरपयोग करनेपर; . (बी) अपने ट्रस्टका कार्य लगातार न करसकनेपर; (सी) अपने दूस्टका कार्य करने में अयोग्य होनेपर; (डी) अपने नाबालिग़के साथ अनुचितव्यवहार करनेपर या उसकी उचित देखरेख न करनेपर; (ई) इस एक्टके किसी नियमकी या अदालतकी किसी प्राक्षाको जानते हुए अवहेलना करनेपर: (एफ)किसी ऐसे अपराधमें दोषित निर्धारित किये जानेपर जिससे अदालतकी रायमें उसका चालचलन वली रहने योग्य न समझा जासके; (जी) यदि वलीका निजी लाभ नाबालिग़का कार्य ठीक ठीक करने में विपरीत पड़ता हो; (एच) यदि वली अदालतकी अधिकार सीमामें रहना छोड़दे: (आई) अगर वली नाबालिग़की जायदादका वली है उस वलीके दिवालिया होजाने पर (जे) यदि वलीके वलायतकी अवधि समाप्त होजावे या समाप्त होनेके योग्य हो;
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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