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________________ नाबालिग्री और वलायत [पांचवां प्रकरण अज्ञानके स्वामित्वसे किसी तरहपर हटादे तो अज्ञान बालिग होनेकी तारीखसे तीनसालके अन्दर उस जायदादके वापिस पानेका दावा दफा ४४ के अनुसार कर सकता है।। (४) जायदादसे क्या मतलब है-दफा ४४ में जायदाद, शब्द दोनों क्रिस्मकी जायदादोंके लिये काम में लाया गया है। जायदादमें स्थावर और अङ्गम सम्पत्ति शामिल हैं यानी जायदाद मनकूला और गैर मनकूला। लिमीटेशन् एक्टके अनेक लेखकोंने जायदाद, शब्दका ऐसाही मतलब माना है क्योंकि कानूनमें प्रापरटी (Property ) शब्दके साथ और कोई शब्द नहीं जोड़ा गया । नोट-विशेष विवरण देखो-इन्डियन लिमीटेशन ऐक्ट नं. ९ सन् १९०४६०-के, जे, रुस्तमजी बेरिस्टर एट, लॉ, सन, १९१५६० का छपा । और यच, टी, रिवाजका छदवां एडीशन सन् १९१२ ई. का छपा। दफा ३७५ जब किसी दूसरे आदमीने, अज्ञानकी जायदाद उसके स्वत्वाधिकारसे हटा दी हो अब सवाल यह पैदा होता है कि अगर किसी ऐसे वलीने जो कानूनी या असली वलीकी हैसियत न रखता हो अथवा किसी दूसरे आदमीने अज्ञानकी जायदादको उसके स्वत्वाधिकारसे हटा दिया हो तो कौनसी दफा उस केसमें लागू पड़ेगी तथा उसकी कितनी मियाद होगी और वह मियाद कबसे शुरू होगी ? नीचे देखो-- दफा ३७६ अज्ञानकी कानूनी अयोग्यता (१) इण्डियन लीमीटेशन ऐक्ट नं0 ६ सन १९०८ ई. की दफा ६ का यह अर्थ है कि “अगर वह आदमी जो नालिश करने या डिकरी जारी करानेकी दरखास्त देनेका अधिकारी है, उस समयमें जबसे मियाद शुरूकी जाना चाहिये, अशान या पागल या विक्षिप्त हो, तो उसे अधिकार है कि, जब उसकी अयोग्यता चली जाय उसी मियादके अन्दर नालिश दायर करे या डिकरी जारी कराने की दरखास्तदे जो उस कामके लिये कानून लिमीटेशन में मियाद मुकररकी गई है" (देखो उदाहरण नं११). (२) जिस समयसै मियाद शुरू होना चाहिये, अगर किसी आदमी को उसवक्त दो किस्मकी अयोग्यतायें हों, चाहे वह दोनों अयोग्यतायें साथ ही शुरू हुई हों या जब एक अयोग्यता खतम न होने पाई हो और बीचहीमें दूसरी शुरू होगई हो, तो जब दोनों किस्मकी अयोग्यतायें उसकी नष्ट हो
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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