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________________ नाबालिगी और वलायत [पांचवां प्रकरण wwwwwwwwwwwwwwwww दफा ३५१ अदालत न्यायकी तरफ ध्यान देगी ___ जहां पर मिताक्षरा माना जाता है वहां पर मुश्तरका खानदानकी जायदादको किसी हिस्सेदारके रेहन करने या बेंच देनेसे दूसरे हिस्सेदारोंकी प्रार्थनापर, यद्यपि वह दस्तावेज़ क़ानूनन् रद्द करदी जायगी मगर अदालत हमेशा न्यायकी तरफ ध्यान देगी । ऐसा मानोकि अगर एक मुश्तरका खानदानमें जो मिताक्षरासे लागू किया गया है, आठ भाई बरावरके शामिल शरीक हिस्सेदार हैं। उनमें से एकने बिला मंजूी दूसरे भाइयोंके मुश्तरका जायदादका कुछ हिस्सा बेच दिया और उस रुपसेये जायदादपर जो करज़ा था अदा कर दिया। दूसरे भाईकी तरफ से अदालतमें नालिश की गयी जिसमें प्रार्थना थी कि बैनामा रद्द किया जावे। अदालतने न्याय दृष्टिसे फैसला किया कि बैनामा कानूनन् रद्द कर दिया जावे और खरीदारको वह अधिकार हासिल हों, जो उस आदमीको जायदादसे रुपया वसूल करने के हासिल थे जिसको रुपया दिया गया था। खरीदार उसकी जगह लेकर रु०. वसूल कर सकता है। इस किस्मके फैसलेको (इक्युटी) कहते । अगर भाईने जायदाद न बेंची होती, बापने बेंची होती, तो सब भाई पाबन्द होते । दफा ३५२ गर्भावस्थामें बच्चेका हक़ अगर बाप कोई मौरूसी जायदाद उस वक्त बैंच दे या रेहन करदे जबकि उसकी स्त्रीके गर्भ में एक मर्द बच्चा है तो वह लड़का जब बालिग होगा दस्तावेज़ रद्द करा सकता है मगर शर्त यह है कि बापने यदि किसी कानूनी जायज़ कामके लिये बेची हो या रेहनकी हो तो रद्द नहीं करा सकता। हर हालमें मिताक्षरा स्कूलाके ताबे होना चाहिये तब यह शकल होगी, देखो, सभापति बनाम सोमसुन्दरं 16 Mad. 76. दफा ३५३ पीछेकी मंजूरीसे पाबन्दी मुश्तरका जायदादमें अगर पहिले किसी बालिग़ मेम्बरकी मंजूरी जो कानूनन् ज़रूरी है, न लेकर कोई शिरकतकी जायदाद बेच दी गयी हो, या रेहन करदी गयी हो, और उसके बाद वह मेम्बर उसे मंजूर करले जिसकी मंजूरी पहिले नहीं ली गयी थी तो वह मेम्बर उस दस्तावेज़ के असरका पाबन्द है। देखो-कंडासामी बनाम खमासकंड़ा ( 19 12 ) 35 Mad. 177. नोट -बैनामा या रेहननामा कहनेस यह मतलब है कि चाहे किसी तरहपर भी जायदाद दूसरेके अधिकामें देदी गयीही या किसी जमानत आदिमें लगादी गई हो । दफा ३५४ साबित करना किस पक्षपर निर्भर है दस्तावेज़के जायज़ करनेके लिये जो सुबूत दरकार हो वह उस पक्ष पर निर्भर है, जिसने बैनामा या रेहननामा या अन्य कोई दस्तावेज़ लिखा
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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