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________________ दफा ३४३-३४६ ] नाबालिग्री और वलायत હે पर दिवालिया करार दिया जा सकता है। क़ानून मुआहिदा की दफा ११ और २४७ - प्रेसीडेंसी टौन इनसालवेन्सी एक्ट की दफा ६६ शावैलैस एण्ड को० का मामला A. I. 1. 1927 Sind. 18. दफा ३४४ ब्याजका शरह अगर किसी महाजन ने मनेजर को अधिक सूद पर क़र्ज़ा दिया होगा और यह साबित हो जाय कि मनेजर को उस सूद से कम भाव पर क़र्ज़ा मिल सकता था। तो महाजन को अदालत उतना ही सूद दिलायेगी जितना कम से कम उसे मिल सकता था; देखो -- 18 Cal 311. दफा ३४५ अदालतकी आज्ञानुसार जायदाद ख़रीद करने में अज्ञान की अलहदा जायदाद का वली जब कोर्ट आफ् वार्डस् एक्ट सन् १८६० की दफा २८-२१ के अनुसार कोर्ट की आज्ञा से नाबालिग की किसी जायदाद को बेंचे या रेहन करे तो खरीदने वाले अथवा रेहन करने वाले को पूंछ पांड वग़ैरा करने की ज़रूरत नहीं होगी सिर्फ कोर्ट पर विश्वास करलेनाही योग्य है, गङ्गा प्रसाद बनाम महारानी बीबी 11 Cal 379, 883-384; 12 I. A. 47, 50. दफा ३४६ मुश्तरका जायदाद में वलीके अधिकार ( १ ) शामिल शरीक खानदान में मुश्तरका जायदाद पर जब कोई चली नियत हो जिसमें बालिग़ मेम्बर मौजूद हों, तो किसी खानदानी ज़रूरत से वह जायदाद बेच सकता है और रेहन कर सकता है, अगर उसने बेचने और रेहन करने से पहले बालिग मेम्बरों की मंजूरी हासिल करली हो, मिलर बनाम रङ्गनाथ 12 Cal. 389. ( २ ) जहां पर कोई वली, जो मुश्तरका खानदान का हो खानदान की ज़रूरत के लिये अगर कोई जायदाद बिला मंजूरी बालिग मेम्बरों के बेचे या रेहन करे तो यह मान लिया जायगा कि उनकी मंजूरी थी ( यद्यपि उन्होने नहीं दी ) मगर शर्त यह है कि वह ज़रूरत बहुत ही तेज़ हो और बेचते या रेहन करते समय उनकी रजामंदी न मिल सकती हो; देखो--छोटी राम बनाम नरानय दास 11 Bom. 605. मुदित बनाम रङ्गलाला 19 Cal. 797. (३) जिस मुश्तरका खानदान में नाबालिग हों, उसके वली को अधिकार है कि खानदान की किसी खास ज़रूरत के लिये जायदाद को बेच सकता है, और रेहन कर सकता है, एसी सूरत में नाबालिग उसके पाबंद होंगे; देखो गरीब उल्ला बनाम खलन सिंह 25 All 407, 415; 30 I.A.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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