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________________ ३५४ नाबालिग्री और पलायत [पांचवां प्रकरण है इस लिये बाप का कोई अधिकार नहीं है कि अपनी तब्दीली मज़हब के सबब से कोई ऐसा काम करे जिससे लड़केको अपने दादा और परदादा के लाभ पहुंचाने में कोई हर्ज पैदा हो । और किसी बाप को हक़ हासिल नहीं है, कि अपने किसी अयोग्य काम से अपने अज्ञान बालक को कोई नुकसान पहुंचाये, इस फैसले का अच्छा विस्तृत वर्णन मिस्टर मेन साहेब ने किया है देखो मेन हिन्दूला पैरा २१५-२१६, मुकद्दमा देखो-दासप्पा बनाम चिकामा 17 Mysore. 324. दफा ३३८ जातिच्युत होजाने से वलायत नहीं जाती अगर कोई जाति से बाहर कर दिया गया हो ( मगर हिन्दू रहा हो) तो र्सिफ इस सबब से, अज्ञान की जायदाद, और उसके शरीर का वलीपन नहीं खो जायगा। मगर पहिले यह माना जाता था कि खो जायगा इस विषय की नज़ीरें देखो-स्ट्रेनजर्स हिन्दूला जिल्द १ पेज १६० परन्तु जबसे एक्ट नं० २१ सन् १८५०ई०पास हुआ तबसे इस कानून के असर से अब वल्ली पन नहीं जाता, देखो-कन्हैराम बनाम विद्याराम ( 1878) 1 All. 649, कौलेसर बनाम जोराय (1305 ) 28 All. 233. एक्ट नम्बर २१ सन १८५० ई० का मतलब यह है-"किसी रवाज का या कानून का इतना हिस्सा, जो ब्रिटिश इन्डिया में जारी है, कि जिसकी वजह से कोई आदमी अपने धर्म से निकाले जाने पर, या उसे छोड़ देने पर या जातिच्युत हो जाने पर अपने किसी हक्क या माल को खो देता है। अब से उस रवाज या क़ानून का उतना हिस्सा, बतौर कानून क़तई के नहीं माना जायगा।" नोट-१७ मैसूर ३२४ के केस में रियासत होने की वजहसे ऐक्ट नम्बर २१ सन १८५. ६. लागू नहीं किया गया था अंगरेजी राज्य में अवश्य लागू होता । दफा ३३९ मज़हब बदलनेसे धर्मशास्त्री हक़ चले जातेहैं जब कोई हिन्दू मज़हब छोड़कर ईसाई मज़हव में चला जाय तो हिन्दू समाज उसे बिलकुल अलहदा कर देती है और उसके वह तमाम अधिकार नाश हो जाते हैं, जो उसे धर्मशास्त्रानुसार प्राप्त थे । वह पुरुष जो ईसाई हो गया हो वरासत या बटवारा का दावा नहीं कर सकता और अगर कोई जायदाद उसके पास शामिल शरीक खानदानमें हो तो उसका हिस्सा बेदखल हो जायगा जो हिस्सा उसे हिन्दू धर्मशास्त्रानुसार नियत था । मुसलमान होने से भी ऐसा ही होगा। उदाहरण--अविभक्त हिन्दू परिवार में बाबू कालीदत्त रहते हैं, उनके चार भाई हैं और पांचो भाई मिलकर पैतृक सम्पत्तिमें बराबर हिस्सा रखते
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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