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________________ नाबालिग्री और वलायत ( पांचवां प्रकरणं बाई बनाम महादू ( 1908 ) 33 Bom. 107 114, पंचप्पा बनाम संग वासवा 24 Bom. 89, 91. इस बातको मि० घारपुरे और मि० ट्रिवेलियन नहीं मानते, उनका कहना है कि मा वली नहीं रहेगी, जैसा कि ऊपर कहा गया है मि० मेन भी इस आखीर राय से सहमत है, देखो -- घारपुरे हिन्दूलॉ दूसरा एडीशन पेज १०५: मेनका हिन्दूलॉ पैरा २११. ३५२ अगर अदालत को वली हटाने के लिये काफी वजेह नहीं दिखाई जायगी तो वली नहीं अलहदा किया जासकता, और अगर वली बाप अथवा मा हो तो यह ख़्याल किया जायगा कि अज्ञान की ज़ात ( शरीर ) और जायदाद की रक्षा का प्रेम उन्हें सब से बढ़ कर है । दफा ३३६ मज़हब बदलने पर वलीकी स्थिति 1 ( १ ) जब बाप किसी लड़के का वली हो, और उसने अपना मज़हब बदल दिया हो, और अब उसका मकान लड़के के रहने योग्य न रह गया हो तो, लड़का बाप की वलायत से हटा कर दूसरे वली के सिपुर्द किया जायगा जिसे अदालत सब बातों पर निगाह कर के उचित समझे । और अगर बाप दूसरे मज़हब में जाकर अदालत से यह प्रार्थना करता हो कि उसका लड़का उसके क़ब्ज़े में दिला दिया जाय तो अदालत सब बातों का विचार कर के ऐसा हुक्म देगी जिससे अज्ञान का लाभ हो; देखो - मुकुन्दलाल बनाम नवदीपचन्द्र 25 Cal. 881. ऐसा बाप क़ब्ज़ा पाने की नालिश क़ानूनन कर सकता है देखो - गार्जियन ऐण्डवार्डस् एक्ट नं० ८ सन् १८६० ई०; शरीफ बनाम मुन्नेत्रां 25 Bom. 574. श्याम लाल बनाम बिन्दू 26 All 594. ( २ ) अगर माने वली की हैसियत में अपना मज़हब बदल दिया हो और यह सम्भव हो कि उसके असर से दूसरों का भी मज़हब बदल जायगा तो अदालत उस माकी वलायत खारिज़ कर देगी, देखो - स्किनर बनाम आरड़े 14M. I. A. 309; S. C. 10 B. L. R. 125; S. C. 17 Suth. 77. (३) वह सुरत बिल्कुल अलग होगी जब कि अज्ञान लड़के ने अपना मज़हब बदल दिया हो, तो उसका वली कौन होगा ? इस विषय पर ज्यादा विचार किया गया है। पहले ऐसे फैसले जात किये गये हैं जिन से ज़ाहिर होता है कि जब दूसरे मज़हब में अज्ञान लड़का चला गया हो, तो वह अदालत से बाप को वापिस दिला मिलता था, मगर आजकल जो नये फैसले हुये उनमें वाक़ियात के लिहाज़ से यह माना गया कि जहां पर लड़के को एक अर्से तक रक्खा गया, या वह रहा, तो उससे हटाने में लड़के का लाभ नहीं है; नये फैसलों की एक दो नज़ीरें देखो-
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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