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________________ दत्तक या गोद [चौथा प्रकरण ~ ही तरह का उच्चारण होता हो। लोगों को और तरह से उच्चारण करते हुये भी सुना है।" इन सब गोत्रों के लोग काशी धाम में नहीं पाये जाते। कुछ गोत्र जैसे टैरण--(तरण ) कासिल का वहां पर पता नहीं लगता, काशीमें अधिक अग्रवाल गोइल गोत्र के मिलते हैं। इनके सिवाय अग्रवालों की और भी उपजातियां पाई जाती हैं, जिनके नाम उक्त गोत्रों में सम्मिलित नहीं किये गये हैं। इन उपजातियों के नाम " दास" और "विरादरी राजा” हैं। दास गोत्र वाले अग्रवाल, बसु से, उपपत्नी द्वारा उत्पन्न हुये हैं इस कारण अन्य अग्रवाल इनके साथ अपना सम्बन्ध नहीं रखते । “ विरादरी राजा" गोत्र वाले अग्रबालों की उत्पत्ति रत्नचन्द से हुई है। फरुनशेर बादशाह ने गत शताब्दी के पूर्व भाग में इनको राजा की उपाधि दी थी कुछ श्रादमी इस उपजाति को भी “दास" की तरह मानते हैं। ___ अग्रवाल जाति की दो शाखायें और है, पूर्वीया और पश्चिमीया । पूर्वीयों की संख्या पश्चिमीयों की अपेक्षा अधिक हैं काशीमें पूर्वीया अग्रवाल पश्चिमीयों से अधिक प्राचीन समझे जाते हैं। दोनों काशी के पंडितों की यात पर पूर्ण श्रास्था करते हैं वह दोनों उपजातियां आपस में खानपान करती हैं पर विवाह सम्बन्ध नहीं करतीं, पहिले यह दोनों परस्पर बिवाह सम्बन्ध भी करते थे, पर कुछ झगड़े हो जाने के कारण इन्होंने इस रीति को उठा दिया। हाल में फिर चेष्ठा की गई है कि यह दोनों उपजातियां आपस में मेल करलें, इसमें कुछ सफलता भी देखी गई है । अग्रवाल जाति धार्मिक रीति के विचार में बड़े पक्के होते हैं । वे मांस नहीं खाते और उनमें विधवाविवाह नहीं है, बनारस के धर्म शास्त्र को बड़े प्रेम से मानते हैं । अग्रवालों का एक ब्रहदभाग अर्थात् इस जाति के लग भग आधे लोग जैन धर्म के अनुयायी हैं ( इन प्रान्तोके पूर्वीय जिलों में वे सरावगी नामक जैनी ,अग्रवालों से शादी बिवाह करते हैं।) बुलन्दशहर के प्रत्येक क़स्बे और गांव में अग्रवाल निवास करते हैं मैनपुरी वाले अग्रवाल जैनमत के हैं । सोलहवीं शताब्दी के अन्त समय में अग्रवालों का एक परिवार गोरखपुर से इटावे को गया और वहां पर निवास कर लिया। मिस्टर ए० ओ० हम कहते हैं कि इस घराने के आदि पुरुष का नाम लालविहारी था । वह बादशाह के खजांची थे उन्होंने कोड़ा जहानाबाद में कुछ समय व्यतीत किया किन्तु मरे इटावा में ही। इनके पुत्र बैजनाथ वहां घर बनवा कर अपना रहना स्थिर कर लिया, उनके पौत्र जैचन्द ने कटरा बनवाया जो अबतक उनके वंशजों के अधिकार में चला आता है जिनमें अधिकांश धन, धान्यशाली व्यवसायी और ज़िमीदार हैं । अग्रवालों में जो साधारण ब्योपारी और बनिये हैं वे अक्सर मिर्जापुर के ज़िलांतर्गत चुनार
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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