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________________ दत्तक या गोद [ चौथा प्रकरण ( १ ) दत्तक पुत्रका क़ब्ज़ा जायदाद परसे कब नहीं हटाया जायगा - जब कोई मियाद, जायदादपर क़ब्ज़ा करनेके हक़ पैदा होनेसे शुरूकी जायगी, तो उस वक्त दत्तक पुत्रका क़ब्ज़ा जायदाद परसे न हटाना योग्य होगा, देखो मलाया बनाम नरासामा 17 Mysore. 180 मगर जब कोई दावा दत्तक मन्सूखीका उस वक्त कियागया हो जब जायदादपर क़ब्ज़ा दत्तक पुत्रका हो तो उसका क़ब्ज़ा हटाना और भी अधिक कठिनहो जायगा । इस क़िस्मकी मियाद लेनेमें इस बातपर ध्यान रखना कि जब विधवा जायदाद पर, अपने पतिकी वारिस जायज़की सूरत में क़ब्ज़ा रखती हो और उसने दत्तक लिया हो अर्थात् जो विधवा योग्य रीति से पतिकी वारिस हो तो, उसके मरनेके दिनसे मियाद शुरू होगी: इस बारे में एक पुराना फैलसा देखो - भरवचन्द्र बनाम कालीकिशोर S. D. of 1850,369. बङ्गाल सदर लालतने इस फैसलेमें तय है किविधवाके मरनेके बादसे मियाद शुरूहुयी - इस मुक़द्दमेमें बादी कहता था कि- मैं विधवाके पतिकी लड़की का लड़का हूं (नेवासा); और विधवाने पति के मरने के बाद सन् १८२४ ई० में दत्तक लिया, तथा सन् १८६१ ई० तक जीती रही। विधवाके मरने के ५ वर्षके बाद यानी सन् १८६६ ई० में दावा दायर किया गया । वादीने यह स्वीकार किया था कि दत्तक पुत्र अपनी गोदकी हैसियत से सन् १८२४ ई० से जायदादपर क़ाबिज़ रहा है, और इस मुक़द्दमे में दत्तक पुत्र और उसका लड़का मुद्दालेह बनाया गया। दावामें दत्तक नाजायज़ होने का बयान किया गया था । अदालतने इस मुक़दमेमें क़ानून मियाद के अनुसार यह तय किया कि दावा में तमादी होगयी, इसलिये बादीके खिलाफ़ फैसला किया । बादमें फुलबेंच हाईकोर्ट बङ्गालमें यह मुक़द्दमा पेश हुआ और तय किया गया कि वादीको जायदादपर क़बज़ा पानेका हक़ विधवा के मरने के बाद पैदा हुआ और विधवा मरी सन् १८६९ ई० में । मियाद. नालिश मंसूखी दत्तक की १२ वारह सालकी है, इसलिये तमादी नहीं है उस वक्त जो क़ानून मियाद गवर्नमेण्टका जरी था वह एक्ट नं० ६ सं० १८७९ ई० था, जिसमें १२ सालकी मियाद दत्तक मंसूखीकी रखीगयी थी मगर अब वह क़ानून जारी नहीं है, देखो - श्रीनाथ गङ्गोपाध्याय बनाम महेशचन्द्र 4 BL. R. ( F. B. ) 3; S. C. 12 Sauth. ( F. B. ) 14. ३३० दफा ३१५ दत्तक मंसूख़ करापानेका दावा ६ साल के अन्दर होना चाहिये पहिले दत्तक नाजायज़ क़रार देनेके लिये अदालतमें दावा करनेकी मियाद बारह वर्षकी रक्खी गयी थी और यह मियाद अनेक प्रकार से शुरू होती थी देखो-क़ानून मियाद एक्ट नं० १४ सन् १८५६ ई० और एक्ट नं०६ सन् १८७१ ई० । आजकल बारह वर्षकी मियाद नहीं मानी जाती । ऊपरी एक्टों
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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