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________________ ३२८ दत्तक या गोद [चौथा प्रकरण नोट-हिन्दुस्तान के अंदर कृत्रिम दत्तककी तरह कई जगहों पर लड़का और लड़कियां गोद ली जाती हैं जैसे ब्रह्मदेशमें लड़कियां भी गोद ली जाती हैं और उनमें कोई रसम दत्तक की नहीं होती तिर्फ वह अपनी बिरादरी में मशहूर करदी जाती हैं, मदरास में एक · रैडी' कौम है जिसमें दामाद को दत्तक पुत्र की तरहपर मान लेते हैं ।मालाबारमें · नायर ' लोगों में लड़कियां दत्तक ली माती हैं वह जायदाद की वारिस भी होती हैं । नाम बुद्री ब्राह्मणों में भी इसी किस्म की चाल है । मगर अप यह सब रवानें कम होती जाती हैं। कानून में इन खाजों का स्थान नहीं है। इन्डियन लिमीटेशन एक्ट नं० ६ सन् १६०८ ई० के अनुसार दत्तक संबंधी नालिशों की मियादें अर्थात् अपने भावी हककी रक्षाके लिये या दत्तक मसूख करापाने के लिये या दत्तक जायज़ करार दिये जाने के लिये या दत्तकके मुक़ाबिले अथवा उससे जायदाद पाने के लिये नालिश करने का विषय दफा ३१३ भावी हक़के रक्षित रखनेके लिये नालिशहो सकती है ___जब किसी को कोई हक़ किसी के मरने के बाद पैदा होता हो-और उसे यह आशङ्का होकि वह जिसके ताबेमें इस वक्त जायदादहै सिर्फ इसकारण कि वह जायदाद वारिस को न मिले बरवाद कर रहा हो, या बरबाद कर देने की कोशिश कर रहा हो, तो नालिश इस बात की अदालत में दायर की जा सकती है कि उसका हक़ भावी साफ़ कर दिया जाय और मुद्दालेह वैसा करने से रोका जाय । इस किस्म की नालिश अन्य सूरतों में भी दायर हो सकेगी, जबकि कई एक संदेह जनक वारिस पैदा होते हों, या कोई ऐसी बात हो जिसके कारण उस वक्त यदि नालिश नहीं दायर की जायतो नालिश में अथवा अन्य किसी काम में नुकसान पहुंचना संभव हो । इसी तरह पर एक मामला बंगाल में पहिले चला था जिसमें अन्य वातों के अलावा यह साफ है कि होने वाले एक वारिस ने विधवा पर दावा दायर किया कि उस का हक़ आगे के लिये निश्चित कर दिया जाय। अदालत ने तजवीज़ किया
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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