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________________ दत्तक या गोद ,[ चौथा प्रकरण गया तब अपने असली खानदानमें उसका प्रवेश होसकता है या नहीं ? खास कर उस सूरतमें जबकि दत्तक विधानही साबित न होनेकी वजेसे उसकी दत्तक नाजायज़ मानी गई हो। इस विषय में मिस्टर सदर लेन्ड की राय यह है कि अगर अदालतमें दत्तक जायज़ न माना गया हो तो उसका ( दत्तक पुत्रका ) हक़ असली कुटुम्बमें रक्षित रहता है; 1 Stra. Hindu Law 82; भवानी बनाम अम्बाबाई 1 Mad. H. C. 363; लक्ष्मअप्पा बनाम रामावा 12 Bom. H. C. P. 397. ३१४ ऊपरके दोनों पुराने मुक़द्दमे हैं इनपर अमल बहुत रोज़से नहीं किया गया, इस विषय में मिस्टर मेनकी राय वहुतही योग्य समझी जाती है, उन का कहना है कि “मुमकिन है कि दत्तकपुत्र, जिसकी दत्तक नाजायज़ क़रार दी गई हो अपने असली खानदान में एक मेम्बरकी हैसियतको खोदे । मगर वह अपनी परवरिश पानेका उस खानदानसे अधिकारी है जिसमें वह गोद लिया गया हो” देखो मेन हिन्दूलॉ पैरा १७७. सबका नतीजा यह है कि दत्तकपुत्र, गोद लेनेवाले खानदानपर अपने परवरिश पानेका दावा कर सकता है जबकि दत्तक नाजायज़ क़रार पाया हो; मगर इस क़िस्मके दावा की खास सूरतें हैं जो प्रत्येक मुक़द्दमेके सुबूतपर निर्भर हैं । दफा २९४ दत्तक पुत्रके बदले में रुपया लेनेका परिणाम जब कोई दत्तकपुत्र देने के बदलेमें, लेनेवालेसे रुपया वसूल कर लेवे, अथवा मासिक या सालाना किसी तौरपर रुपया मिलनेका ठहराव कर लेवे, तो यक़ीनन वह दत्तक मन्सूख हो जायगा यदि कोई ऐसा ठहराव किया गया हो कि इस क़दर रुपया दत्तक देनेवाले को सालाना मिला करेगा, तो इसका यह अर्थ होता है कि वह दत्तक बिला वास्ता नहीं है बक्लि वह दत्तक 'क्रीत" है 'क्रीत' क़िस्मकी दत्तक क़ानूनन् नाजायज़ होता है इस लिये वह भी नाजायज़ होगा; और जब यह साबित हो कि दत्तकपुत्र खरीदा गया है, तथा सिर्फ रुपया मिलने की गरज़से दिया गया है; तो दत्तक नाजायज़ हो जावेगा; देखो - एशान किशोर बनाम हरिश्चन्द्र 13 B. L. R. P. 42; S. C. 21 Suth. 381; क्रीत पुत्रके लिये देखो दफा ८२ पैरा १०. दफा २९५ नाजायज़ दत्तकपुत्र केहक़में दानपत्र या मृत्युपत्रकाफल (१) दत्तक नाजायज़ हो जानेसे हिबानामा नाजायज़ नहीं होगा-दान पत्र ( हिबानामा) करनेके बाद अगर दत्तकपुत्र नाजायज़ क़रार दिया जाय तो दान पत्र मन्सूख नहीं समझा जायगा ऐसा मानो कि भगवानदासने अपनी जायदाद हिबानामाके द्वारा मुरलीधर को दी और जिस वक्त हिबा लिखा गया था भगवानदास को यह मालूम था कि मुरलीधर गोदका लड़का है
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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