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________________ दत्तक या गोद [चौथा प्रकरण दफा २८८ द्वामुष्यायनको कितना हिस्सा मिलेगा जब औरस पुत्र पैदा होजायें द्वामुष्यायन को दोनों पिताओं की सम्पूर्ण जायदाद उस वक्त मिलेगी जब दोनों कुटुम्बों में यानी दोनों पिताओंके कोई औरस पुत्र दत्तकके बाद न पैदा हुआ हो। और जब दत्तक के बाद औरसपुत्र पैदा हो जाय तो उसे जायदाद इस प्रकारसे मिलेगी द्वामुष्यायन के तरीकेसे दत्तक देनेके बाद जब असली बापके एक लड़का पैदा हो जाय तो दत्तकपुत्रको उस औरस पुत्रसे आधी जायदाद मिलेगी और औरस पुत्रको दत्तकसे दूनी । अर्थात् जब असली बापकी जायदाद के दो वारिस हों एक औरसपुत्र दूसरा द्वामुष्यायन दत्तक, तो पहिले कुल जायदाद के, बराबर तीन बाग करके एक भाग द्वामुष्यायन दत्तक पुत्र को तथा दो भाग औरस पुत्रको मिलेंगे। इसी तरहपर जब दो लड़के औरस होंगे तो जायदाद पांच भागोंमें बटकर एक भाग द्वामुष्यायन को व दो, दो भाग दोनों पुत्रोंको मिलेंगे एवं जितने औरस पुत्र होंगे उनको दो, दो भाग तथा द्वामुष्यायनको एक भाग मिलेगा; द्वामुष्यायनको जितना मिलेगा उसका दूना प्रत्येक औरस पुत्रको। __ उदाहरण-सेठ लखपतिरामने, अपने एकलौते लड़केको द्वामुष्यायन तरीके से अपने भाईको गोद दे दिया, पीछे उनके तीन औरसपुत्र पैदा होगये; लखपतिरामने अपने मरनेपर सात लाख रुपया छोड़ा तो कानूनके अनुसार हरएक औरस पुत्रको दो, दो लाख और द्वामुष्यायन पुत्रको एक लाख रुपया मिलेगा। सिद्धांत यह है कि जितना द्वामुष्यायनदत्तकपुत्रको मिलेगा उसका दूना हरएक औरस पुत्र को मिलना चाहिये । जब दत्तकलेनेवाले पिताके द्वामुष्यायन दत्तक लेनेके बाद औरसपुत्र पैदा हो जाय तो द्वामुण्यायन को उस हिस्सेका आधा हिस्सा मिलेगा, जो साधाण दत्तक लेनेके बाद औरसपुत्र पैदा हो जानेकी सूरत में स्कूलके अन्तर्गत माना गया है देखो इस किताबकी दफा २७०-२७५ और २८६. दफा २८९ द्वामुण्यायनकेभाग जाननेका नक्शा ____ नीचेके नकशेसे दत्तक और द्वामुष्यायनदत्तक लेनेके बाद जब औरसपुत्र पैदा हो जायतो प्रत्येक स्कूलोंके अन्तर्गत कितना हिस्सा किसको मिलेगा साफ़ तौरसे मालूम हो जायगा इस किताब की दफा २७०-२७१ भी देखो--
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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