SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 389
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०८ [ चौथा प्रकरण दत्तक या गोद दफा २८४ कानुनमें द्वामुष्यायन कब माना जाता है जब दो सगे भाइयोंके बीच में एक भाईके एक ही लड़का हो और दूसरे भाईके कोई न हो, तथा उसे इस बातका रंज हो कि मेरी धार्मिक कृत्य, ( अंतेष्ठिक्रिया और श्राद्ध तर्पण आदि ) कौन पूरा करेगा, तब वह लड़केवाला भाई खुशी से और राज़ी होकर अपने उस एकलैाते लड़केको अपने उस भाई को जिसके कोई नहीं है इस शर्त के साथ दत्तक दे देवे कि वह लड़का दोनों भाइयोंकी धार्मिक कृत्य पूरा करेगा और दोनों की जायदाद का वारिस होगा तो वह लड़का द्वामुष्यायन माना जाता है । द्वामुष्यायन दत्तकके लिये दोनों भाइयों की ज़िन्दगी, और इक़रार तथा दत्तक के बाद इसी तरह का बर्ताव जैसा कि इक़रार से ज़ाहिर होता हो ज़रूरी है इसलिये जब एक भाई के एक से अधिक पुत्र हों और उसने उनमेंसे एक को दूसरे भाईको गोद दे दिया हो तो उसे द्वामुष्यायन मानना बहुत ही कमज़ोर है । लेकिन यह बात उस इक़रारनामे परसे जो दत्तक के समय किया गया हो तथा दत्तक के बाद जैसा बतीव दोनों भाइयों का आगे रहा हो निश्चयकी जायगी देखो; 26 All. 472. धारपुरे मिताक्षरा पेज ८६ लाइन १४-३० मिताक्षरा द्वामुष्यायन को नहीं मानता । घारपुरे मयूख पेज ५१ लाइन २५-३५ दत्तक देने के समय अगर कोई इक़रारनामा लिखा गया हो, या कोई खास बात मानी गई हो तो उससे निश्चय किया जायगा कि वह दत्तक सादा था अथवा द्वामुष्यायन था - दत्तक मीमांसा अ० ६ श्लोक ४१; दत्तकचन्द्रिका अ० २ श्लोक २४; सरकार लॉ आव एडाप्शन पेज ३६-३७; मेन हिन्दूलॉ पैरा १७३ घारपुरे हिन्दूला पेज ८८ सम्बाशिव पैय्यर हिन्दूलॉ दफा २३१-२४०. मुला हिन्दूलों में कहा गया है कि जब पुरुष अपना लड़का किसी दूसरे पुरुष को इस इक़रार के साथ गोद दे देवे कि वह दोनोंका लड़का माना जायगा, तो वह द्वामुष्यायन दत्तक कहलाता है, दत्तक देनेके समय इस क़िस्मका इक़रार ज़ाहिर किया गया हो या माना गया हो, दोनों तरह पर वह द्वामुष्यायन होगा । और जब कि एक भाई अपने एकलौते लड़के को दूसरे भाईको दत्तक दे देवे तो ऐसी सूरतमें क़ानूनके अनुसार ऐसा मानलिया जायगा, कि वह इक़रार द्वामुष्यायन का था नकि सादे दत्तकका देखो; प्रिन्सिपल आफू हिन्दूलाः दीनशाह फरडुनजी मुल्ला, यम० ए० एल० एल० बी०, सेकेन्ड एडीशन सन् १९१५ पेज ३१० दफा ४०१, द्वामुष्यायन दोनों बापकी जायदाद पायेगा देखो; मुल्ला हिन्दूलॉ दूसरा एडीशन पेज ४०१ नज़ीरें देखो; ऊमा बनाम गोकुलानन्द ( 1878 ) 3 Cal. 587, 598, 5. A. 1. 40, 50-51; कृष्णा बनाम परम श्री ( 1901 ) 25 Bom. 537; बिहारीलाल बनाम शिवलाल ( 1904 ) 26 All. 472 ( इस इलाहाबादकी नज़ीर का ज़िकर ऊपर भी है । )
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy