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________________ २५० दत्तक या गोद [चौथा प्रकरण पिता उसका पिता नहीं रहता। दत्तक और उसके कुदरती खानदान के मध्य सपिण्ड सम्बन्धके जारी रहनेके कारण, यह नहीं साबित होता कि एक गोद लिये हुये भाई और उसके कुदरती भाई के मध्य भ्रातृत्व का सम्बन्ध शेष रहता है ( 1883 ) L. R. 10 I. A. 138; ( 1902 ) 25 Mad. 394; ( 1916 ) 40 Bom. 429 and; ( 1879 ) 6 Cal. 256 (F. B. ) का आधार लिया गया है; और ( 1899 ) 21 All 412 P. 418 and. L. R. I. A. Sup. Vol 47 का हवाला दिया गया है। बृजस्वरूप चन्द्र बनाम सुभद्राकुँवर--30 W. N. (Sup.) 34. दफा २५७ असली कुटुम्ब में शादी नहीं कर सकता, और न गोदले सकता है यद्यपि दत्तक पुत्रका सम्बन्ध उसके असली कुटुम्बसे टूट जाता है मगर खूनके सम्बन्धको वह नहीं मिटासकता । इसीलिये दत्तक पुत्र अपने असली कुटुम्बमें शादी नहीं कर सकता.और न वह अपने असली कुटुम्बसे किसी पुत्र को दत्तक ले सकता है, जिसे वह असली कुटुम्बमें रहने की हालत में दत्तक न ले सकता था । देखो दफा २७६. । उदाहरण--(१) रामनाथ के दो लड़के हैं रामरिख और रामप्रताप रामप्रताप के मामा रामसेवकके एक लड़की है जिसका नाम रामवती है। रामप्रतापको रामनाथने गोद देदिया। अब गोद चले जानेपर भी रामप्रताप, रामवतीके साथ शादी नहीं कर सकता है इसी तरह पर रामप्रताप उन सबके साथ शादी नहीं कर सकेगा जिन के साथ वह गोद न जाने की दशा में नहीं कर सकता था। (२) गणेशप्रसादके तीनपुत्र हैं गणेशलाल, गणपति और गणेशदास गणपति की बुवाके लड़केकानाम शिवसागर और बहनके लड़केका नाम प्रताप तथा भाई गणेशदास की लड़की के लड़के का नाम मुकुन्द है। गणपपति को गणेशप्रसादने गोद देदिया तो अबगोद जानेकी दशाभीगणपति,शिवसागर, प्रताप और मुकुंद को दसक नहीं ले सकता क्योंकि गणपति इन लड़कोंको उस वक्त भी गोद नहीं ले सकता था जबकि वह असली खानदान में था। दफा २५८ दत्तक पुत्र दादाके चचेरे भाईका तथा सपिण्डोंका वारिस होता है जब अकेला दत्तक पुत्र ही दत्तक लेनेवालेके बाद वारिस रहा हो, और एकही पुत्र दत्तक लिया गया हो तो दत्तक पुत्रको,गोद लेनेवाले बाप और उस के दादा परदादाकी सब जायदाद प्राप्त होती है बक्ति दूसरे रिश्तेदारों तकका
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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