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________________ ६५६ दत्तक या गोद [चौथा प्रकरण रिन्दबाई ललिताप्रसाद 49 Bom. 515; 27 Bom. L. R. 365; 87 I. C. 472 A. I. R. 1925 Bom. 289. अग्रवालों के मध्य दत्तक केवल एक सांसारिक प्रथा है-धमराज जौहरमल बनाम सोनीबाई 30 C. W. N. 601 ( P.C.) अग्रवालों के मध्य केवल यह रसम है कि दत्तक के सिर में पगड़ी बांधी जाती है और पञ्चों को मोजन कराया जाता है । धनराज जौहरमल बनाम सोनीबाई । 30 C. W. N. 601 (P.C,). नोट-हिन्दुस्थानकी हाईकोर्टोंमें पहले यही माना जाताथा कि द्विजोंके दत्तकमें यदि धार्मिक रसूम न किये गये हैं। तो वह दत्तक नाजायज्ञ है ( 16 W. R. 179) मगर प्रिवीकौंसिलने हालके मुकद्दमोंमें कहा कि मजहबी रसूमात दत्तकके जायज करनेके लिये जरूरी नहीं है किंतु दत्तक हवन जरूरी है 5 Cal.770, 7 I. A. 24; 6 Cal. 381; 7 Cal. L. R. 3133 71. A. 250. दुफा २४१ शूद्रोंके लिये दत्तक हवन जरूरी नहीं हैं (१) तमाम फैसले इस बारेले होचुके हैं कि शूद्रोंमें किसी वक्तकिसी मज़हबी रसमकी ज़रूरत नहीं है देखो; नित्यानन्द बनाम कृष्णदयाल 7B.L. R. 1; S.C. 15 Suth. 300 इस मुकद्दमे में साबित हुआ है कि शूद्रोंमें गोदलेने के समय मज़हवीरसमकी ज़रूरतनहीं है मगर इस मुकद्दमे में भाईका लड़का गोद लिया गया था जो एकही परिवारके थे इसलिये कहा जासकता है कि भाई के लकड़केके गोद लेने में सिवाय देने और लेनेकी रसमके अन्य रसमें ज़रूरी न थी। इसके बाद दूसरा मुकद्दमा फैसला हुआ जिसमें यह बात न थी, माना गया कि, शूद्र दत्तककी कोई रसम अदा किये विना भी दत्तक ले सकता है और इस किस्मका दत्तक जायज़ होगा शूद्रोंमें विवाहकी रसमके सिवाय अन्य रसमें ज़रूरी नहीं है-देखो; बिहारीलाल बनाम इन्द्रमनी 13 B. L. B. 401; S. 0. 21 Suth 285, प्रिवी कौंसिलका फैसला देखो-सवनोमनी इन्द्रमनी बनाम बिहारीलाल 7 I. A. 24, S. C. 5 Cal. 770; दथामनी बनाम रासबिहारी S. D. 1852 P. 1001) प्रकाशचन्द्र बनाम धुनमनी S. D. 1853 P. 96. अलवर बनाम रामालीमी 2 Mad. Dec- 67; थंगाधनी बनाम रानमुदाली 5 Mad. 36837 B.L.R.15 15 W.R. 300; 11 B. L. R. 171; 19 W. R. 133,2 B.L. R. A.C. J. 279; 11: Suth 196; 8 C.L R.183;इन ऊपरके मुकदमों में स्पष्ट है किशूद्रोंको दत्तक लेनेमें सिवाय लड़के के देने और लेने की रसम के और कोई भी मज़हबी रसम की ज़रूरत नहीं है। (२) शूद्रोंमें मज़हबी रसूमात दत्तक लेनेके लिये ज़रूरी नहीं हैं, और शूद्रकुष्ठी दत्तक ले सकता है द्विज कुष्ठी नहीं ले सकता देखो 28 Cal. 168, 6 Cal. 381; 7 I A. 150; 7 Cal. L. R. 313,
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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