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________________ दत्तक या गोद [चौथा प्रकरण जी० सी० सरकार ने अपने लॉआफ एडाप्शन पेज ३४१--३४२ में कहा है कि पञ्जाबमें द्विजोंके अन्तर्गत लडकीका लड़का, बहनका बेटा. भाई की लड़कीका बेटा भाईकी बहनका बेटा, गोद लिया जासकता है वह जायज़ माना गया है। मगर पञ्जाबभरमें जबतक कोई खास रवाज साबित न हो तब तक लड़कीके लड़केकी दत्तकके बारेमें जो कुटुम्बियोंकी बिना मञ्जूगीके हुआ हो ज़ाहिरतौरसे नहीं कहा जासकता कि जायज़ है देखो---2 P. R. 1893 50 P, R. 1893 ( F. B. ); 3 P. R. 1884, 30 P. R. 1894; 34 P. R. 1894; 86 P. R, 1894; 19 P. R. 1895%; 47 P. R. 1895%3 58 P. R. 1895: 84 P. R. 1895%3; 33 P. R. 1895%; 103 P. R. 1896%; 18 P. R. 1899; 34 P. R. 1899; 33 P. R. 1900; 81 P. R. 1900; 67 P. R. 1901. इन नज़ीरोंमें जाट और राजपूतोंके मामले शामिल हैं। (४) जैनियोंमें लड़कीका लड़का गोदलिया जासकता है देखो-8 All. 819;1All. 688, 5 I.A. 87; 2 Cal.L.R. 1933 [ All.288, 14 All.53, 4 B. H. C. A. C. 130; 17 All. 294, लेकिन 21 All. 412 में प्रिवी कौंसिलने माना कि लड़कीका लड़का, या बहनका बेटा ब्राह्मण, क्षत्रिय, और वैश्यों में उस समय तक दत्तक नहीं हो सकता जब तककि कोई खास रवाज इसके विरुद्ध न साबितकी जाय देखो-53 P. W. R. 1908; 28 All. 488 ( P. C.); 12 All. 51; 8 All. 1; 1 Mad. H. C. 420; 6 I. L. J. 567 ( P. C.); 10 Cal. L,j. 583 5M. L. T. 423; 11 Bom. L. R. 8333; 36 Cal. 780; 3 Indian Cases. 382; 93 P. R. 1909; 13 C, W.N. 920. (५) तनजोर, ट्रिचनापोली, तिनिवेली ज़िलोंमें रवाजके अनुसार ब्राह्मणोंमें लड़कीके लड़केको गोद लेना जायज़ माना गया है देखो-वैद्यनाथ बनाम अप्पू 9 Mad. 44. यही, बात मलावारके नामबुद्री ब्राह्मणोंमें मानी गई है देखो 7 Mad. 3. किन्तु दक्षिणी महाराष्ट्र देशमें लड़कीके बेटेको गोद लेना यह श्राम कायदा नहीं माना गया 22 Bom. 973-976. (६) ऊपर बताये हुए स्थानों और क़ौमोंके अतिरिक्त, लड़कीके बेटे का दत्तक सब जगह नाजायज़माना गया है इस विषयमें अनेक हाईकोटौँके फैसले देखो-भगवानसिंह बनाम भगवानसिंह 26 I. A. 153-160; 21 All. 412; 3 C. W. N. 454, 456; 1. Bom. L. R. 311; 8 Bom. 273; 3 Bom. 298; 2 Mad. H. C. 462-468. (७) मारवाड़में द्विजोंमें कोई २ लोग लड़कीका लड़का ( दौहित्रदोहिता ) गोदलेलेते हैं। मगर अदालत ऐसे दत्तकको पहले जायज़ नहीं मानलेगी जब तक कि ऐसी रवाज न साबितकी जाय । रवाज कैसे साबितकी जाती है ? देखो दफा ३० से ३५ और देखो दफा-१७७; २३१.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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