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दत्तक या गोद
[चौथा प्रकरण
लब है कि असली बाप को न देना चाहिये ऐसा करने में देनेवालेपर कसूर है न कि लेनेवालेपर और जबऐसा पुत्र दत्तक ले लिया गया हो तो फिर वह नाजायज़ नहीं है। धर्मशास्त्रकारोंने असली बापको सलाह दी है कि वह ऐसा न करे मगर देनेके बाद विरोध नहीं कियागया। और देखो दफा-२०२;२०६ दफा १९१ दो पुरुष एकही लडकेको गोद नहीं ले सकते
दो श्रादमी शामिल होकर एक पुत्रको गोद नहीं ले सकते चाहे वह सगे भाई क्यों न हों 10 Cal. 688; मेन हिन्दूला सातवां एडीशन पेज १६३ सरकार लॉ आफ एडाप्शन पेज ३०६. (ख) कौन लड़के गोदहो सकते हैं ? या कौन
गोद लिये जा सकते हैं ?
नोट-उदाहरणकी तरहपर कुछ लड़के नीचे बताये गये है जो गोद लिये जा सकते है। नीचे जिनका जिक्र किया गयाहै वह कहीं तो रवाजके अनुसार और कहीं पर विशेष कायदे से तथा कहीं पर दूसरे सिद्धांतस जायज मानेगये हैं मगर वह समस्त भारससे लागू न होंगे इसलिये इस विषयके समझने के लिये स्कूल, खाज, कौम और दूसरी बातोंको भी ध्यानमें रखना । दफा १९२ सगोत्र सपिण्ड,असपिण्ड भिन्न गोत्र सपिण्डका लड़का
___ जहांतक हो नज़दीकका लड़का गोद लियाजाय देखो दफा १७२; १७३; १७५ जैसे सगे भाईका पुत्र बहुतही उचित है यदि ऐसा पुत्र न हो या न मिल सकता हो तो, सगोत्रपिण्डमें कोई पुत्र दत्तक लियाजाय पीछे सगोत्र असपिण्ड में इनमें भी न हो या न मिलसके तो भिन्नगोत्र सपिण्डमें गोद लेना बताया गया है देखो इस किताबकी दफा १७३. दफा १९३ सौतेला भाई
शूद्रोंमें (जो द्विजन्मा नहीं है ) सौतेला भाई दत्तक लिया जासकता है देखो 15-All. 327 लेकिन द्विजोंमें हरगिज़ नहीं लिया जा सकता 3 Mad. 15; देखो दफा २२४. दफा १९४ भाईका पुत्र
मि मेन अपनी हिन्दूलॉ की दफा १३५ मैं कहते हैं कि भाईकापुत्र गोद लेनेके लिये बहुतही योग्य है । भट्टाचार्य कहते हैं कि भाईका पुत्र अपने पुत्रके बराबर है; देखो-भट्टाचार्य हिन्दूला तीसरा एडीशन पेज ४१४ और देखो दफा १७६.