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________________ २३४ दत्तक या गोद [चौथा प्रकरण अदेयान्याहुराचा- यद्यत् साधारणधनमिति।इदम्प्येक पुत्र विषयमेव वशिष्ठ शौनकैकवाक्यत्वात् । तर्हि केन पुत्रोदेय इत्यतआह-बहुपुत्रेणीति। बहवः पुत्राः यस्येति 'बहुपुत्रः' नैकपुत्रेणेतिनिषेधात् द्विपुत्रस्यैव दानप्राप्तौ यद्वहुपुत्रेणेत्युच्यते तदिपुत्रस्यापि तत्प्रतिषेधाय । एकपुत्रो ह्यपुत्रोमे मतः कौर. वनन्दन । एकं चक्षुर्यथा चक्षुर्नाशे तस्यान्ध एव हीत्यादि भीष्मं प्रतिशान्तनूक्तेः इति । 'भावार्थ- कैसा पुत्र गोद लेना चाहिये इस विषयपर शौनककी यह राय है कि जिस किसी आदमीके एकही लड़का हो उसे गोद लेना योग्य नहीं है जब एकसे ज्यादा लड़के हों तो छोटा गोद देवे । दत्तक मीमांसामें इस वाक्य का अर्थ यही लगाया गया है कि जिसके एक लड़का हो वह उसे गोद न दे । वसिष्ठ ने कहा कि, जिसके एकही पुत्र हो वह उसे गोद न देवे, और ऐस्। लड़का गोंद न लेना चाहिये। अब शङ्का यह है कि 'दान से यह मतलब है कि लड़के को अपने अधिकारसे दूसरेके अधिकारमें दे देना, तो यह उस समय तक सम्भव नहीं हो सकता कि जब तक दान देने वाला देवे नहीं और लेने वाला लेवे नहीं। इससे मालूम होता है कि दानका निषेध किया गया। वसिष्ठ ने जो यह कहा कि एक पुत्रको गोद न देवे इससे यह मतलब है कि, वह लड़का अपने वंशके चलानेके वास्ते रखा गया है जिसमें वह जन्मा है। इसीलिये एक लड़के वाले पिताका अधिकार उसके गोद देने में नहीं है क्योंकि जिसके एकही लड़का हो और वह उसे गोद दे देवे, पीछे दूसरा पुत्र पैदा न हो तो उसका वंश नहीं चल सकेगा इस भयसे एक लड़का होने की सूरतमें गोट देनेका निषेध किया गया है। एकलौता लडका देने और लेने में, देने वाले और लेने वालेपर एक प्रकारका अपराध माना गया है। अपराध से यह मतलब है कि पिताका अधिकार उसके गोद देने में नहीं है। स्मृतिकारों ने कहा है कि पिता के वशीभूत पुत्र और उसकी मां होती है मगर उसे यह अधिकार नहीं है कि उन्हें बेञ्च डाले अथवा दान कर दे । नारद और अन्य आचार्यों ने यद्यपि आपदकालमें कुछ इसके विरुद्ध कहा है मगर वह विषय दूसरे प्रकारका है। अब प्रश्न यह है कि कैसा पुत्र गोद दिया जा सकता है ? इसका उत्तर यह है कि जिस आदमीके एक से ज्यादा पुत्र हों वह छोटे पुत्र के गोद देनेका अधिकारी है और ऐसा ही पुत्र गोद लिया जा सकता है। महाभारतके इतिहासमें शांतनुने भीष्मसे कहा कि जिसके एकही पुत्र हो
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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