SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 304
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1001 दफा १७६-१७७ ] साधारण नियम २२३ सहोदरा, एकस्यापि सुते जाते सर्वे ते पुत्रिणः स्मृताः। बह्वी नामेक पत्नीनामेष एव विधिः स्मृतः, एकाचत्पुत्रिणी तासां सर्वासां दिण्डदस्तु सा। भावार्थ- दत्तक मीमांसामें कहा है कि--नज़दीकी सगोत्रसमिएका लड़का गोद लेना । ऐसा लड़का सगे भाईका होता है । यही यात धिज्ञानेश्वर में कहा है कि भाईका पुत्र ही गोद लेने के योग्य है भाईसे मतलब सहोदर भाईसे है। मनुजीने कहा है कि एक मातासे पैदा हुए भाइयोमेंसे एकके पुत्र होनेपर सब पुत्रवान् कहे जाते है यहां 'भाई' शब्दसे एक माताके गर्भसे जन्म भाइयोंसे मतलब है इस लिये सबसे नज़दीकी वही है । वृहस्पति कहते हैं कि जब एक मा बापसे पैदा हुए अनेक भाई हों और उनमेंसे एक के लड़का हो तो बाकी के सब भाई पुत्रवान् कहलायेंगे इसी तरह हर जब किसीके भनेक स्त्रियांहों और और उनमेंसे एकके पुत्र हो तो बाकी सब स्त्रियां पुत्रवती कही जायेंगी क्योंकि सबका पिन्डदान अलदान का करनेवाला वही पुत्र होता है। सहोदर भाई के पुत्रके न होनेपर दूसरा लड़का गोदलेना उचित होगा। (२) अाजकल हिन्दूलॉ में यह बात मानी जाती है कि करीबी रिश्तेबारकी मौजूदगी में अगर दूरका लड़का गोद लिया जाय जो और सब बातोंसे योग्य हो तो जायज़ माना जायगा देखो 1 W. Men. 68; 2 Stra. H L. .68-192; 3 Cal. "587; गोकुलानन्द बनाम उमादाई 15 B. L. R. .405 23 W..R• C. R340; 2 C.L.R.51;. I. A. 406 Bom. H. C. (A. C. J.)70; दारमादाऊ वनाम रामकृष्ण 10 Bom. 80; दिवेलियन हिन्दूलाँ पेज १३३ इस किताबकी दफ़ा देखो १६४. दफा १७७ दोहिता, भानजा आदिके गोद लेने में विवाद मि० मांडलीकने माना है कि द्विजोंमें दोहिता; भानजा आदि गोद नहीं लिये जा सकते मगर शूद्रोंमें लिये जासकते हैं लड़कीका लड़का, बहनका लड़का आदि भी गोद लिये जा सकते हैं हां कहीं पर बहनका लड़का गोद 'नहीं लिया जाता । जिन वचनोंमें यह कहा गया है कि शूद्र दोहिता, भानजा आदिको गोद ले सकता है उन वचनोंकी टीका करते हुए मांडलीक कहते हैं 'कि उनका यह अर्थ नहीं हैं कि शूद्रोंको, बहनका बेटा और बेटीका बेटा गोद लेना चाहिये और न इस क्रिस्मके दत्तकके लिये द्विजोंको मनाही है। क्योंकि वाक्यमें 'क्वचित् पद है। दौहित्रो भागिनयश्च शूद्राणां विहितः सुतः ब्राह्मणादि ये नाति भागिने यः सुतः 'कचित्' ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy