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________________ दफा ११८] विधवाका गोद लेना सके । चन्द्रेश्वर प्रसाद नारायणसिंह बनाम विश्वेश्वर प्रताप नारायणसिंह A. I. R 1927 All. 61. मिथिला स्कूल--कर्ता पुत्र-बादको पिता की मृत्यु के पश्चात पुत्रका जन्म-परिणाम-कन्हैय्यालाल साहू बनाम मु० सुग्गाकुंवर A. I. R. 1926 Pat. 90. कुदरती पिताकी मृत्यु - पुत्रका अधिकार कुदरती खान्दान से समाप्त हो जाता है । धर्मसिंह बनाम बक्जी 99 I C. 315. (२) बंगाल स्कूल--बंगाल स्कूल में उपरोक्त वाक्यका अर्थ यह माना गया है कि पतिकी आज्ञा गोद लेने के लिये ज़रूरी है। अगर पति अपनी जिन्दगीमें गोद लेने की आज्ञादे गया हो और उस आशामें यह योग्यता हो कि उसके मरनेकेबाद काममें लाईजा सके तो विधवा उस आज्ञासे गोदले सकती है। यही अर्थ बनारस स्कूलमें माना गया है 1 W Macn 91; 100; 2 W. Macu 175; 1827 183; जानकी देवी बनाम सदाशिव I. S. D. 197; तारामनी बनाम देवनारायन 3 S. D. 387. - जब पतिने दो या ज्यादा विधवाओंको एक दूसरे के बाद गोद लेनेकी आज्ञा दी हो तो दोनों स्कूलमें (बङ्गाल, बनारस) बड़ी विधवाको श्रेष्ठता दी जाती है। विजयकृष्ण करमाकर बनाम रज्जीतलाल करमाकर ( 1911) 38 Cal. 694. . (३) बनारस स्कूल--बनारस स्कूल में उपरोक्त वाक्यका अर्थ वही लगाया गया है जो बङ्गाल स्कूल में माना गया है 'बिना आज्ञा पतिके विधवा स्त्री गोद नहीं ले सकती हेमन्चलसिंह बनाम धनश्याममसिंह कुमार 2 Knapp 203; 5 W. R. P. C. 69; इस केसमें इटावाके बारेमें फैसला सीमाबद्ध है। तुलसीराम बनाम विहारीलाल 12 All.328; परभूलाल बनाम मैलने 14 Cal. 401-419, 1 W. Macn. 91-100%; 2 W. Macn 1895 शमशेर बनाम दिलराज 2 S. D. 169; पद्मसिंह बनाम उदयसिंह 12 M. I. A. 350; 12 M. I. A. 440; 12 W. R. (P.C.) 1; 2 M. H. C. 216. इस स्कूलमें अनेक विधवाओं को यदि एक दूसरेके बाद गोदकी आशा हो तो बड़ी विधवा गोद लेगी-31 Cal. 694. . (४) महाराष्ट्र स्कूल ( बम्बई स्कूल.)- महाराष्ट्र स्कूल, मयूख और कौस्तुभ ग्रादि ग्रन्थोंके ताये हैं। इस स्कूलमें उपरोक्त वाक्य का अर्थ यह किया गया कि-"इस वाक्य का सम्बन्ध उस दत्तक से है जो पतिके जीते जी लिया जाय" इस से यह मतलब नहीं है कि विधवाकै अधिकारको बन्द करदे, जिसको सब हिन्दू धर्म शास्त्र कारोंने पतिकी आत्माके लिये लाभकारी बताया है; देखो - कलक्टर आफ मदुरा बनाम मोटोरामलिङ्ग 12 M I. A. 435; 21
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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