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________________ १५८ दत्तक या गोद चौथा प्रकरण दफा ११४ 'विभूतिबिदा' कृत्य करके गोद लेना जिस वैश्यने विभूति बिदा नामक कृत्य किया हो वह दत्तक ले सकता है। अगर कोई रसम इसके विरुद्ध बताई जाती होतो उसे पूर्ण रूपसे साबित होना चाहिये; म्हलसा बाई बनाम विट्ठोबा 7 Bom. H. C. App. 26. दफा ११५ चुदा सामागमटे गरासियोंमें दत्तक . चुदा सामागमेटे गरासिया क़ौमका कीई भी आदमी दत्तक ले सकता है; बीरा बाई बनाम बाई हीराबा 5 Bom. L. R 234; 30 I. A. 234; 27 Bom. 492. दफा ११६ रंडियों और नाचने गाने वाली औरतोंका गोद लेना रंडियोंका यानाचने गानेका पेशा करनेवाली औरतोंका लड़की दत्तकलेना सर्वथा नाजायज़ है। कलकत्ता और बम्बई हाईकोर्टके अनुसार यह माना गया कि नायकिनका अथवा नाचने वाली औरतोंका लड़की गोद लेना नाजायज़ है, चाहे कोई ऐसा रवाज भी साबित किया जाता हो; क्योंकि सभ्यता और सादाचारके यह विरुद्ध है, यही बात इलाहाबाद हाईकोर्टने भी मानी है। मथुरा बनाम ईशू 4 Bom. 545; हीरा बनाम राधा ( 1913)37 Bom. 117; 4 Bom L. R. 116; हेमकुंवर बनाम हंसकुंवर 2 Morl. Dig. 133; मनजम्मा बनाम शेषगिरि राव 26 Bom. 491; इस आखिरीके मुकद्दमे में गोद एक रण्डी ने लिया था। रंडियां आम तौर से अपने मिलने वालोंके द्वारा और स्वयं कोशिश करके लड़कियां भगा लाती हैं । कुछ दिन पीछे वे उस लड़कीको अपने किसी रिश्तेदार की लड़की जाहिर करतीं या इसी तरहकी दूसरी बातें कहती हैं। लड़कियोंको वे गोद लेने की गरज से नहीं लातीं बक्लि उनसे अपना पेशा करानेके मतलब से लाती हैं और यह स्पष्ट रहता है कि वे उस लड़की द्वारा आमदनीसे अपना ज़ाती लाभ उठाती हैं। जहांपर कि यह रवाज किसी भंशमें ऐसी स्वीकार की गयी हो वहांपर किसी रण्डीका इस तरह पर लड़कीके गोद लेनेकी बात कहने पर भागे पीछे की बहुत मज़बूत शहादत द्वारा जांच की जायगी। रंडियोंका स्वभाव ज्यादा तर रुपया कमाना माना जाता है। यदि वे धनवान हैं और अब वे अपना निन्दनीय पेशाभी नहीं करतीं तो भी ऐसे गोद की बाड़में धन कमाना उस लड़कीके द्वारा छिपा रहता है अगर किसी रण्डी ने अपना पेशा छोड़कर भगवत् भजन करना ही स्थिर किया हो, धनवान हो, सन्तान हीन हो और लड़की इसलिये गोद ली हो कि उसका नाम संसार में चलता रहे तथा उस लड़की की शिक्षा, रहन सहन आदि ऐसा हो कि जैसा ऊंचे दर्जे की समाजों की लड़कियों का होता है तथा किसी भी आगे पीछेकी
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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