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________________ दत्तक या गोद [चौथा प्रकरण (३) जस्टिस् मित्र अजकी राय-अशानके अधिकारके सम्बन्धमें जस्टिस मित्र जजने कहा कि--"अज्ञानका प्रत्येक काम बेकार नहीं है। केवल वह काम जो उसके फायदेको नुकसान पहुँचानेवाले हों सम्हालनेके योग्य हैं। क्योंकि अशान जब बालिग होजायगा तब उनपर आपत्ति कर सकता है लेकिन किसी बेऔलाद हिन्दुके गोदलेनेसे कोई नुकसान नहीं पहुँच सकता। कारणयह है कि हिन्दूधर्म शास्त्रानुसार धार्मिक और मज़हबी कृत्यके प्रचलित रहनेके लिये अज्ञान पाबंद कियागया है और जब वह बालिग होगा तब उसे अपनी धार्मिक और मज़हबी रीतियोंके पूरा करनेका ज़िम्मेदार होना पड़ेगा और उसपर फ़र्ज़ होगा कि उन्हें पूरा करे; ऐसी सूरतमें जब कोई गोद लिया गया हो उसे हम नाजायज़ नहीं मान सकते, चाहे गोद लेनेवाला बाप अदालतकी निगाहमें नाबालिरा हो" देखो--15 Suth. 548; 15 Bom.565; 3I. A. 83, S. C; 1 Cal. 289; मि० प्यारे बनाम मि० हरबंशी 19 Suth 127; और देखो भट्टाचार्य हिन्दूला दूसरा एडीशन पेज ३४६; रामकृष्ण हिन्दूला सन् १९११ पेज ८९; इनकी यह राय है कि जब अशान समझदार होगया हो तो गोद ले सकता है। (४) मदरास-मदरासमें जब कोई अज्ञान कोर्ट आफ वार्डस्के ताबे हो उस सूरतमें वह बिना मञ्जूरी लिखी हुई या ज़बानी कोर्ट आफ्वार्डस्के गोद नहीं ले सकता-एक्ट नं० १ सन् १६०२ की दफा ३४. सीव । (५) मध्यप्रदेश-मध्यप्रदेशमें कोर्ट आफ पाईसका कोई नाबालिग्न बिना मंजूरी लिखी या ज़बानी जनाब चीफकमिश्नर साहबके गोद नहीं ले सकता-एक्ट नं १७ सन् १८८५ की दफा २४; यदि गोदकेबाद मंजूरी ली गई हो तो भी जायज़ है। (६) संयुक्तप्रांत-संयुक्तप्रांतमें जब कोई नाबालिग कोर्ट आफ वार्ड्स के सायेमें हो तो वह कोर्ट आफ वार्ड्स की लिखी या ज़बानी मंजूरीके बिना गोद नहीं ले सकता । मगर यदि गोद लेना किसी ऐसे कानूनके विरुद्ध न हो को उस नावालिरासे लागू होता हो, और उस दत्तक लेनेसे जायदाद को या उस नाबालिसके कुटुम्बकी मर्यादाका नुकसान न होता हो, तो कोर्ट आफ पाई गोद लेने की मंजूरी देनेसे इनकार नहीं कर सकता।। यह ध्यान रहे कि जिस नाबालिग ने (या उसकी तरफसे ) अपनी दरख्वास्तके द्वारा जायदाद कोर्ट आफ वाईसके हवाले की हो तो ऊपरकी क्रैदें कोईभी लागू नहीं होगी। Act. No. 3 N. W. P. of 1899. S. S.34 (७) पंजाब--पंजाबमें लिखी हुई कोर्ट आफ वाईसकी मंजूरी बिना दराक नहीं हो सकता Act. No. 2 P.C. 1903. S. S. 15.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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