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________________ दफा ६७-१००] दत्तक लेनेके साधारण नियम किसी अन्य अभिप्राय के सम्बन्ध में जायज़ होगा, इस प्रकार के दो प्रमिप्रायों में कोई अन्तर नहीं है। हिन्दूलॉ के अनुसार यदि कोई दत्तक जायज़ है तो वह हर प्रकार के तात्पर्यों के लिये जायज़ है, और कोई व्यक्ति जो जायज़ तरीके पर गोद लिया जाता है गोद लेने के लिये हर श्रमिप्राय, आत्मिक, व्यवहारिक के लिये स्वाभाविक पुत्र हो जाता है। बसवन्तराव बनाम देवराव A. I. R. 1927 Nag. 2. दफा ९९ पुत्रके जातिच्युत होनेपर दत्तक असली लड़का या दत्तकपुत्र अपनी जातिसे बारह हो जाय और धर्म कृत्यके पूरा करनेके योग्य न रहे तो गोद लेना जायज़ होगा मि० सदरलैन्ड और मेकनाटनकी यही राय है। बम्बई प्रांतमें इस बातपर अमल किया जाता है। देखो--Mad. 2 Vol. P. 200; Steel. P. 42-181. यह सवाल बड़े झगड़ेका है, क्योंकि एक्ट नं० २१ सन १८५० के अनुसार कोई लड़को जिसने अपने धर्म या जातिको छोड़ दिया हो अपने हक़से अलहदा नहीं होता । इसलिये अपनी जातिके छोड़ देनेसे उसके अधिकार पर कोई लड़का गोद नहीं लिया जासकता । यदि ऐसा प्रश्न किसी मुकदमे में पैदा हो जाय तो हो सकता है कि अदालत ऐसा दत्तक मंजूर करनेसे इनकार कर दे और उसे दीवानी कोर्टसे जो अधिकार मिलने वाले हो न मिलें । मगर यह प्रश्न उस समय मज़बूत हो जायगा जब असली लड़का बिना औलादके मरजाय । देखो-- स्टेज हिन्दूला जिल्द १ पेज ७७, दिवेलियन हिन्दू लॉ दूसरा एडीशन पेज १०० उदाहरण-सेठ पीरूमलका लड़का बेधर्म होगया और धार्मिक क्रिया करनेका अधिकारी न रहा । तो सेठजी दूसरा लड़का गोद ले सकते हैं। किन्तु मुश्किल यह है कि ऐक्ट नं०२१सन१८५०ई०के अनुसार लड़कैका हिस्सा बेधर्म होनेसे नहीं चलागया ऐसी दशामें निश्चय नहीं कहा जासकता कि उसका परिणाम क्या होगा । मगर बम्बई प्रांतमें शुद्रोंमें बेधर्म हो जानेपर गोद . लेनेकी रस्म है। दफा १०० लड़केका लापता होजाना जब किसीका लड़का लापता होगया हो और बहुत वर्षों तक उसकी कोई खबर न मिली हो, ऐसी सूरतमै यदि कोई लड़का दत्तक लियाजाय, तो वह दत्तक उस समयतक जायज़ नहीं माना जायगा, जबतक कि अदालतमें यह न साबित करदिया जाय, कि गोद लेनेके समय उसका लड़का मर गया था। देखो--रंगूवालाजी बनाम मोदी अप्पा 23 Bom. 296-303. धरूपनाथ बनाम गोबिंदसरन 8 All. 614-620 जन्मेजय मजूमदार बनाम केशवलाल
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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