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________________ दत्तक या गोद चौथा प्रकरण यह दत्तक विधान अदालती हालके फैसलों के आधार पर बड़े झगड़े का हो गया है । प्रथम प्रकरण में कहे हुए स्कूलों के सिद्धान्तों और स्कूलों में मान्य ग्रन्थों तथा अदालती फैसलों को ध्यान में रखकर इस प्रकरण को पढ़ना चाहिये । कई एक अदालती फैसलों के कारण दत्तक विषय में गड़बड़ पड़ गयी है । इसलिये पाठक पूर्वी पर प्रत्यक्ष विरोध देख पड़ने की दशा में आगे पीछे के विषय को सावधानीसे विचारकर पढ़ें । यह प्रकरण सात भाग में विभक्त है ( १ ) कौन दत्तक ले सकता है ? दफा ९१ - १५० (२) कौन दत्तक दे सकता है ? दफा १५१ - १७० ( ३ ) कौन दिया जा सकता है और कौन लिया जा सकता है ? दफा १७१ - २३७ ( ४ ) दत्तक सम्बन्धी आवश्यक धर्म कृत्य क्या है ? दफा २३८ - २४९ ( ५ ) दत्तक की शहादत कैसी होना चाहिये १ दफा २५० - २५५ ( ६ ) दत्तक लेनेका फल क्या है ? दफा २५६ – २८० (७) द्वा मुष्यायन दत्त और अन्य जरूरी बातें दफा २८१ - ३२१ ( १ ) कौन दत्तक ले सकता है ? दत्तक विषय का प्रथम भाग, चार हिस्सों में बटा हुआ है ( क ) दत्तक लेने के साधारण नियम ९१ – ११७ (ख) विधवा का दत्तक लेना ११८ - १३७ (ग) पतिकी आज्ञा से विधवा का दत्तक लेना १३८ - १४२ (घ) बिना आज्ञा पतिके विधवाका दत्तक लेना १४३ – १५० (क) दत्तक लेने के साधारण नियम दफा ९१ साधारण अर्थ दत्तक और उद्देश "दत्तक" का अर्थ है दिया हुआ लड़का, जिसे गोदका लड़का कहते हैं। दन्तक लेनेका उद्देश केवल यह है कि पिण्डदान और जलदानकी क्रिया चलती रहे तथा दत्तक लेने वालेका नाम क़ायम रहे। देखो -- अपुत्रेण सुतः कार्यो यादृक् तादृक् प्रयत्नतः पिण्डोदक क्रियाहेतोर्नाम संकीर्तनायच ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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