SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दफा ८५-८७] पुत्र और पुत्रोंक दरले दिये हुये लड़केको दत्तक और खरीदे हुए या पाले हुए लड़के को कृत्रिम कहते हैं यह साधारण अर्थ है। कानूनमें इसी तरहपर कहा गया है । जिस लड़केके माता पिताने या उसने जिसका कि हक अक्षानबालक पर था, उसे बेच डाला हो, या उन लोगोंने दे डाला हो जो उस पर काबिज़ थे, तब वह कृत्रिमपुत्र होता है। दफा ८७ क्षेत्रजपुत्र और नियोग की पैदाइश क्षेत्रजपुत्रके बारेमें स्मृतिकारोंका बहुत बड़ा विवाद है। इस किस्मके पुत्र का रवाज बहुत दिनोंसे चला आता है। बौधायन ने कहा है कि-जो बालक किसी ऐसी स्त्रीसे पैदा हुआ हो जिसका पति, बालक पैदा होनेसे पहले मरगया हो, या हिजड़ा हो गया हो, या किसी ऐसे रोग से युक्त हो जो अच्छा नहींहो सकता यानी असाध्यहो, या पतिकी आज्ञासे किसी दूसरे पुरुष से उत्पन्न किया गया हो. उसे क्षेत्रज कहते हैं। ऐसे बालक के दो बाप और दो गोत्र होते हैं। यहां पर गोत्र का अर्थ 'घराना' है । उस पुत्र को दोनों पिताओं की सम्पत्ति मिलती है और दोनोंका मृतक संस्कार आदि करने का अधिकार है। ऐसा ही घारपुरे हिन्दूला के चैप्टर ४ में माना गया है । और देखिये, याज्ञवल्क्यने कहा है कि, अपनी भार्या सगोत्र अथवा दसरे पुरुषसे जो पुत्र उत्पन्न होता है. वह क्षेत्रज कहलाता है । बृहद्विष्णुस्मृतिमें यों कहा है, कि नियोग धर्मसे अपने सपिण्ड अथवा उत्तम वर्ण द्वारा जो पुत्र दूसरे पुरुषकी स्त्रीमें पैदा हो उसे क्षेत्रज कहते हैं और इसका दूसरा दरजा होता है । बौधायन, याज्ञवल्क्य,और बृहद्विष्णुने यह नहींसाफ किया, कि किस वक्त क्षेत्रज पुत्र उत्पन्न होनेसे वह जायज़ माना जायगा। अगर औरस पुत्रके होनेपर (१) मृतस्य प्रसूतोयः क्लीव व्याधितयोर्वाऽन्येनानुमते स्वक्षेत्र सक्षेत्रजः स एष दिपिता दिगोत्रश्च दियोरपि स्वधारिक्थभाग्भवति । बौधायनसश्न २ अ०२०१२१ (२) क्षेत्रजः क्षेत्रजातस्तु सगोत्रणेतरेणवा । याज्ञवल्क्य २०१३२ (३) नियुक्तायां सपिण्डेनोत्तमवर्णोनोत्पादितः क्षेत्रजो द्वितीयः। वृहद्विष्णु १५ अ०३
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy