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________________ वैवाहिक सम्बन्ध दफा ७२-७३ ] जाय तो बात दूसरी है-- अरुमुगामुदाली बनाम बीरराघव मुदाली 24 Mad. 255 - १०५ दफा ७३ विवाह में 'फेक्टमवेलेट' (Factum Valet ) ( फेक्टमवेलेट ) - जब कोई ऐसा नाजायज़ काम हो जाता है, जिसको रद करने से और भी ज्यादा हानि होती है, तो अदालत उस कामको नाजायज़ समझते हुए भी रद नहीं करती। इस सिद्धांतका नाम 'फेक्टमवेट' है । विवाहमें यह सिद्धांत इस सूरत में लागू होता है, कि जब वलीकी रज़ामंदी बिना, लड़कीका विवाह कर दिया जाय तो अदालत को वह विवाह ( यद्यपि नाजायज़ है ) जायज़ मानना पड़ता है, क्योंकि हिन्दुओ में विवाह तोड़ा नहीं जासकता । यदि अदालत तोड़दे तो उस लड़की को और भी अधिक हानि पहुंचेगी। इसलिये ऐसे मामलेमें 'फेक्टमवेलेट' लागू होता है । हिन्दूलॉके अनुसार विवाह केवल इस लिये रद नहीं किया जा सकता, कि वलीकी रजामन्दी नहीं ली गयी थी । हां अगर जाल, फरेब, हो तो दूसरी बात है; देखो - मूलचन्द बनाम भूदिया 22 Bom. 812; खुशालचन्द बनाम बाई मनी 11 Bom. 247; गाजी बनाम शकरू 16 All. 512; 4_Mad. 339, मधुसूदन मुकरजी बनाम यादवचन्द बनरजी 3 W. R. 194. धोखा -- जब विवाह किसी अनुचित कन्याके साथ धोखा, फ़रेबसे हो गया हो तो पति उस स्त्रीको त्यागकर सकता है-मनु कहते हैं कि- विधिवत्प्रतिगृह्यापि त्यजेत्कन्यां विगर्हिताम् व्याधितां विप्रदुष्टां वा छद्मना चोपपादिताम् । ६ - ७२ वरको उचित है कि विशेष दोष वाली, रोगिणी, मैथुन संसर्ग वाली, जाल साजीसे, दी हुई कन्याको बिधि पूर्वक विवाहमें ग्रहण करनेपर भी त्याग देवे । और जिसने ऐसा धोखा दिया हो, या जाल साज़ी की हो, उसे राजा दण्ड दे; देखो - याज्ञवल्क्य अ० १ श्लोक ६६, नारद १२ विवादपद ३१-३२-३३; तथा मनु ८-२२४, ऐसा पुरुष क़ानून ताज़ीरात हिन्दसे भी दन्डित होगा बाई दिवाली बनाम मोतीकृष्ण 22 Bom. 509 वाले मामलेमें माता के खिलाफ़ और कन्याके चाचाके मौजूद रहते स्वयं अपनी लड़कीका विवाहकर दिया अदालत ने इस विवाहको भी जायज़ माना । जजोंने कहा कि देखना सिर्फ यह चाहिये कि विवाह क़ानूनी हुआ है ? फेक्टमवेलेटका सिद्धांत भी लागू हो सकता था परन्तु ध्यान रहे कि ऐसा विवाह भलेही जायज़ किसी खास सूरत में मान लिया जाय परन्तु ऐसा करनेमें जिन लोगोंने कन्याको उसके उचित वली की 14
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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