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________________ दफा ६६ ] वैवाहिक सम्बन्ध कन्याको भी न विवाहे । व्यासस्मृति अ० २ श्लोक १-४ में कहा कि जिस कन्याका पिता मूल्य नहीं चाहता हो, जो अपनी जातिकी हो, जो नीचे लटकानेनाले कपड़े पहनती हो ( लहंगा आदि ) और सदाचार से युक्त होवे उस कन्याका शास्त्रकी विधिसे विवाह करे । ऐसाही गौतमस्मृति अ० ४ श्लोक १-२ वसिष्ठस्मृति अ० ८ श्लोक १-२ शेखस्मृति अ० ४ श्लोक १; और नारदस्मृति १२ विवाहपादका ७ श्लोकः शातातपस्मृति ३२, लघु आश्वलायनस्मृति, विवाह प्रकरण १५ श्लोक २ में कहा है कि विद्वान् मनुष्यको चाहिये कि अच्छे कुल में उत्पन्न, सुन्दर सुखवाली, सुन्दर अंगवाली, सुन्दर पवित्र वस्त्र पहननेबाली मनोहर, सुन्दर नेत्रवाली, और भाग्यवती कन्याके साथ विवाह करे । मानवगृह्यसूत्र पु० १ ० ७ अं० ८. ( २ ) छोटे भाई से पहिले बड़े भाई का विवाह उचित है । मनु कहते हैं किदाराग्निहोत्रसंयोगं कुरुतेयोग्रजे स्थिते परिवेत्तासविज्ञेयः परिवित्तिस्तु पूर्वजः । ३ - १७१ परिवित्तिः परिवेत्ताययाच परिविद्यते सर्वेत नरकं यांति दातृयाजक पञ्चमाः । ३–१७२ जब बड़े भाईके क्वारे रहते हुए छोटा भाई विवाहमें अग्निहोत्र ग्रहण करता है तब छोटा भाई परिवेत्ता और बड़ा भाई परिवित्ति कहलाता है । ऐसा करनेसे परिवित्ति, परिवेत्ता, कन्या, कन्यादान करनेवाला, और पुरोहित ये पांचों नरकमें जाते हैं । यही बात कात्यायनस्मृति स्व० ६ श्लो०२ - ३ में कही गयी है । हां कुछ शर्तें इस विषयमें हैं जिनके होनेसे छोटा भाई बड़े भाई से पहले अपना विवाह कर सकता है; देखो अत्रिस्मृति लो० १०३-१०४ और २५५-२५६ में कहा है कि यदि बड़ा भाई कुबड़ा, बौना, लंगड़ा, तोतला, जड़, जन्मका अंधा, बहरा, गूंगा, क्लीव, परदेशमें बसाहुआ, पतित, सन्यासी या योगशास्त्र में रत हो, तो उसे छोड़कर छोटा भाई अपना विवाह कर सकता है ऐसी दशामें उसे दोष नहीं लगेगा; मगर जब बड्ड़ाभाई गुणहीन हो और छोटा गुणवान होनेसे अपना विवाह करले तो उसे प्रतिदिन ब्रह्महत्याका दोष लगेगा। यही बात पराशरस्भृति अ० ४ ० २७-२८- २६ में कही गयी है । और देखो बनरजी लॉ आफ मेरेज 2 ed. P. 41, 6354,- भट्टाचार्य हिन्दू लॉ 2 ed P. 83. ३७ नोट --जो दोष वर और कन्याके ऊपर बताये गये हैं उनमें से सब हिन्दूलों में माने नहीं गये जो माने गये है उनका ज़िक्र ऊपर उचित स्थान में कर दिया गया है । 13
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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