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________________ दफा ५६-५७ ] वैवाहिक सम्बन्ध विवाहकी इच्छा करने वाला ब्राह्मण और क्षत्रीको आपत्तिकालमें भी शूद्रभा के साथ विवाह न करना चाहिये। जो द्विज मोहसे अपने से हीन जातिकी भासे विवाह करता है वह उस भार्य्यासे उत्पन्न सन्तानके द्वारा अपने कुलको शूद्र बना देता है । शूद्राके साथ संभोग करनेसे ब्राह्मण नरकको जाता है और उस स्त्री पुत्र उत्पन्न करने से ब्राह्मणपनेको नष्ट कर देता है । ७५ शास्त्रों में इस बातका नियम है कि किस जातिकी स्त्रीकी सन्तान पहले और किसकी पीछे मानी जायगी। इससे श्रेष्ठ और हीन बताया गया है इसलिये जब कोई हिन्दू अपनी जातिकी स्त्रीसे ही विवाह करे तो वह जायज़ माना जायगा । अगर उस हिन्दूने अपना निवासस्थान बदल दिया हो तो भी यही नियम लागू होगा। देखो - B. L. R. 244; और 9W R 552 सिविलमेरेज एक्ट ऐसे मामलेसे लागू नहीं होता। अगर विवाह करने वाले स्त्री पुरुष यह कहें कि उस क़ानून में कही हुई जातियों में से किसी जातिमें हम नहीं हैं तब वह क़ानून लागू होगा । और पति, पत्नीकी रजिस्ट्री उस क़ानून के अनुसार अदालत में हो जायगी । एकही जातिकी उप-जातियों के परस्पर विवाह वर्जित नहीं है इस विषय में अगर पहले की कोई नज़ीर, रसम वाजकी कैद लगाने वाली हो तो भी विवाह जायज़ माना जायगा यानी वैसी नज़ीर, नज़ीर नहीं मानी जायगी; देखो - मेलाराम बनामथा नूराम 9 W. R. 552; नारायण बनाम राखालगांई 1 Cal. 1. यह माना गया है कि हिन्दूलॉ में कोई ऐसी बात नहीं है जो उप-जातियों के परस्पर विवाह वर्जित करे देखो -- उपोमाकुचाइन बनाम भोलाराम धोबी 15 Cal. 701 फकीर गौड़ बनाम गङ्गी 22 Bom. 277 वाले मुक़द्दमे में अदालतने यह माना कि लिङ्गायतों की उप-जातियोंके परस्पर विवाह नाजायज़ नहीं है जो कोई नाजायज़ बयान करे उसे साबित करना चाहिये देखो - 33 Bom. 693; 11 Bom. L. R. 822; 20 Mad. L. 49. अनुलोम विवाह - हालके मुक़द्दमे (1922Bom.L.R.5 ) में अनुलोमज विवाह जायज़माना गया । वैश्य पुरुष और शूद्रास्त्री से उत्पन्न लड़ की थी तथा वह वैश्यको विवाही गयी थी। मामला यह था कि दुर्गा बाई शूद्र क्रोम म मराठा जातिकी थी वह जगजीवनदास वैश्यके पास रखेली औरतकी तरह बैठी थी । दुर्गा बाईके एक लड़की गुलाब बाई पैदा हुई । म्यूनिसिपल्टीके पैदाइशके रजिस्टर में गुलाब बाईकी जाति वैश्य लिखी गयी । गुलाब बाईके पैदा होने के २, ३ वर्ष बाद उसकी मां दुर्गा बाई मर गयी जगजीवनदासने गुलाब बाई की परवरिश अपनी लड़की की तरह की । जगजीवनदास के औरस पुत्र और पुत्री के साथ उसने भी परवरिश पाई । गुलाब बाईकी पोशाक वैश्य स्त्री की तरह थी । ता० १८ दिसम्बर सन १६१६ ई० को गुलाब बाईका विवाह जीवन 'वैश्य के साथ हो गया । जगजीवनदास और जीवनलाल दोनों विसा मोदी लाल
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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