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________________ (१०) बाल विवाह निषेधक एक्ट यह प्रकट है कि इस एक्टने २१ सालसे कम उमर वाले ( जो १८ सालसे अधिक उम्र के होनें ) पुरुषों के साथ उससे अधिक उम्र वाले लोगोंके मुकाबिले बड़ी रियायतकी है । दफा ८ इस एक्ट के अनुसार अख्तियार समात इस एक्ट के अनुसार किये हुए जुर्मों की समात या सुनवाई प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के अतिरिक्त अन्य कोई मजिस्ट्रेट नहीं करेगा वावजूद इसके कि सन् १८६८ ई० के संग्रह जाबता फौजदारीकी दफा १६० में कुछ और दिया हुआ होवे । व्याख्या इस दफा में साफ तौर से बतलाया गया है कि इस एक्टके अनुसार किये हुए जुर्मों की समात केवळ प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट तथा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट करेंगे और कोई भी मजिस्ट्रेट नहीं कर सकेगा । जाबता फौजदारीकी दफा १६० इस प्रकार है: “ १९०~~( १ ) आगे दी हुई बातों को छोड़कर कोई भी प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट या कोई अन्य मजिस्ट्रेट जिसे इस सम्बन्धमें अधिकार प्राप्त हों किसी जुर्म की समात नीचे दी हुई बातोंके होने पर कर सकता है: (ए) उन वाक्रयात का इस्तगासा दायर होने पर जिनसे जुर्म साबित होता हो; (बी) किसी पुलास आफिसर द्वारा ऐसे वाक्क्रियातकी रिपोर्ट लिखकर देने पर; (सी) पुलीस अफ़सर के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति से अथवा अपने इल्म या शकसे यह मालूम होने पर कि कोई ऐसा जुर्म किया गया है । ( २ ) प्रान्तिक सरकार या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट उसके आम या खास हुक्मके आधार पर किसी भी मजिस्ट्रेटको उपदफा ( १ ) के क्लाज (ए) व (बी) के अनुसार उन जुमोंके समातका अधिकार दे सकता है। जिनको वह मजिस्ट्रेट सुन सकता हो या सुपुर्द कर सकता हो ( ३ ) प्रान्तिक सरकार अव्वल या दोयम दर्जेके किसी भी मजिस्ट्रेटको उपदफा ( १ ) के लाज ( सी ) के अनुसार ऐसे जुर्मों की समातका अधिकार दे सकती है जिनको वह मजिस्ट्रेट सुन सकता हो या सुपुर्द कर सकता हो । जाबता फाजदारी की इस दफा के अनुसार अन्य मजिस्ट्रेट भी इस एक्टके जुर्मोकी समात कर सकते हैं क्योंकि जुर्माना व सजा उनके अख्तियार समात के अन्दर आसकते हैं परन्तु इस दफा का मानना आवश्यक है इसलिये प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को छोड़ कर अन्य किसी मजिस्ट्रेटको इस एक्ट के जुमों की समात नहीं करना चाहिये; यह दफा १९० जानता फौजदारी इस कानूनमें लागू नहीं होगी । दफा ९ जुर्मो के समातका तरीक़ा कीई अदालत इस एक्ट के अनुसार किये हुए जुर्म की समात उस समय तक नहीं करेगी जब तक कि उस विवाह के होनेसे एक सालके अन्दर इस्तगासा दायर न किया गया हो जिसके सम्बन्ध में जुर्म किया जाना बतलाया जाता हो ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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