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________________ धार्मिक और खैराती धर्मादे [ सत्रहवां प्रकरण नियम भंग करने पर अदालतको ऐसा अधिकार था | नोटिसमें यह लिखना चाहिये था कि अगर नोटिसकी तामील न की जावेगी तो फलां काम किया जावेगा यह बहस जो की गयी है ठीक नहीं है। नोटिसका अर्थ सूचना देना है, देखो - 80 I. C. 615; 1925 I. A. J. 175. Mad. दफा ८८७ कोई मेम्बर ट्रस्टी नहीं हो सकता १०६४ जिस मसजिद, मन्दिर या दूसरे धर्मादेके लिये कमेटी स्थापितकी गई हो उसका कोई भी मेम्बर उस मसजिद, मन्दिर या धर्मादेका ट्रस्टी, मेनेजर, सुपरिन्टेन्डेन्ट नहीं हो सकता । दफा ८८८ कमेटी के अधिकार जिल धर्मादेकी कमेटी हो उस धर्मादेकी जायदादका इन्तक़ाल कमेटी के नाम होगा जो जायदाद कि रेवन्यूबोर्ड के अधिकारमें हो, उस जायदादकी मालगुज़ारी या किराये की वसूली के विषय में रेवन्यूबोर्ड, या लोकल एजेन्ट को जो जो अधिकार थे वही सब कमेटीको भी प्राप्त होगें । धर्मादेकी कमेटी के अधिकारों औ कर्तव्यों की तफसील उक्त क़ानून में नहीं बताई गई किन्तु उन्हे धर्मादेकी देखरेख और शासन के साधारणतः संव अधिकार प्राप्त हैं, इन अधिकारोंको काममें लाते हुए कमेठीको सदैव यह देखना चाहिये कि मालगुज़ारी और किराया बराबर वसूल हो रहा हैं और उसके लिये सब कानूनी उपाय किये जा रहे हैं ? इस कर्तव्य पालनके लिये उन्हें यह देखना चाहिये कि मेनेजर वसूली आदिके सब काम नेकनीयती से कर रहे हैं ? धर्मादे की किसी जायदादका अपने नाम लिखा लेना यद्यपि किसी मेम्बरके लिये उचित नहीं है फिर भी यह क़ानूनके बिल्कुल विरुद्ध नहीं है। देखो- -19 Mad. 395. देवस्थानं, कमेटीका प्रथम कर्तव्य यह है कि वह देखे कि किस उद्देशसे धर्मादे स्थापित किये गये हैं उन्हीं उद्देशोंके लिये श्रमदनी, खर्च की जाती है और व्यर्थ खर्च तो नहीं होता, ट्रस्टी लोग धर्मादेके जो धार्मिक कृत्य करते हों उनमें हस्तक्षेप करना कमेटीका काम नहीं है; देखो - 22 Mad. 361. नया ट्रस्टी जोड़ना (एडीशनल ट्रस्टी) - मन्दिर के प्रबन्धकी जो प्रणाली बोर्डने संगठित कर दी हो उसको कमेटी बदल नहीं सकती और जब कि ट्रस्टियों में से सब या कोई पुश्तैनी हो (Hereditary Trustee ) तो उनमें कोई ट्रस्टी नया जोड़ नहीं सकती । स्वीकृत व्यवस्थाके अनुसार जितने ट्रस्टी मुकर्रर किये गये हों और वे ट्रस्टी चाहे पुश्तैनी न भी हों तो भी कमेटीको यह अधिकार नहीं है कि बिना किसी अच्छे और यथेष्ट कारणके उन ट्रस्टियोंकी संख्या बढ़ाये ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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