SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1141
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०६० धार्मिक और खैराती धमादे [सत्रहवां प्रकरण (१) मन्दिर, मसजिद, और दूसरे धार्मिक कामों के साथ लगी हुई जमीनकी देखरेख, (२) उन धार्मिक संस्थाओंके चलाने के लिये धर्मादेका कोई भाग अपने कब्ज़में लेना, (३) उन धार्मिक संस्थाओं की इमारतोंकी मरम्मत और रक्षा, (४) ट्रस्टियों और मेनेजरोंकी नियुक्ति और (५) ऐसे धार्मिक संस्थाओंके प्रबन्ध सम्बन्धी अन्य सब काम । __ यह कानून उन सब सार्वजनिक धार्मिक धर्मादोंसे लागू होता है जिनके चलानेके लिये ज़मीन भूतपूर्व भारत सरकारने या अन्य लोगोंने दी हो और जो रेविन्य बोर्डकी देखरेख में चाहे रहे हों या न रहे हों, और जो इस कानून के पास होनेके समय मौजूद हों या पीछे कायम हुये हों। यह कानून उन धार्मिक धर्मादोंसे भी लागू होता है जो पूर्वोक्त रेगूलेशनोंके जारी रहनेकी सूरतमें उनके अधीन माने जाते थे; देखो-26 Mad. 166. 22 Mad. 223, 34 Mad. 376. वाले मामलों में माना गया कि उक्त दोनों रेगूलेशनोंके रद्द होनेके समय जो धार्मिक धर्मादे कायम हों या न हों उनसे भी यह एन्डोमेन्ट एक्ट २० सन् १८६३ ई० लागू होता है। यह एक्ट भारतमें कहां तक लागू है इस विषयमें इस दफाके ऊपर वाली दफाएं 'रेगूलेशनोंका लगाव' शीर्षकके सम्बन्धमें कह चुके हैं। चन्देसे स्थापित - यह कानून उन धर्मादोंसे भी लागू होता है जो धर्मादे श्रादि चन्देसे स्थापित किये गये हों, देखो-19 All. 104. निजके दूस्टसे लागू नहीं होता-यह एन्डोमेन्ट एफ्ट २० सन १८६३ ई० सिर्फ सार्वजनिक ट्रस्टसे लागू होता है निजके ट्रस्टसे नहीं होता, देखो14 Mad. 1; 3 Cal. 325; 15 B. L. R. 167; 23 W. R. C. R. 4533; 19 Cal. 275. लेकिन उन धार्मिक धर्मादोंसे लागू होता है जो सरकारके प्रवन्धमें रहे हों या हों। दफा ७८० सार्वजनिक धर्मादा धार्मिक कामों के लिये स्थापित किया हुआ सार्वजनिक धर्मादा वह है जिससे उस खास धर्मके मानने वाले सभी श्रेणियोंके लोग लाभ उठाते हों, ऐसाही खैराती धर्मादा होता है । जिस समाजका वह धर्मादा हो उस समाज के सव आदमी जो उस धर्मादेका लाभ उठाना चाहें उठा सकते हों। उनमेंसे हर एकको हर समय और हर मौसममें उससे लाभ उठानेका समान हक्क प्राप्त हो । धर्मादा कायम करने वालेको चाहिये कि किसी ट्रस्टको सार्वजनिक दूस्ट बनाते समय यह इरादा ज़रूर प्रकट करदे कि वह धर्मादा साधारणतः सब लोगोंके लाभके लिये है अथवा किसी एक सम्प्रदायके जनोंके लाभके लिये स्थापित किया गया है, देखो--14 Mad 1... ... .
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy