SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धार्मिक और खैराती धर्मादे [ सत्रहवां प्रकरण and mrrrrrrrrrnam (२) अपील-धर्मादेमें यह आम कायदा है कि जो आदमी फरीक़ मुकदमा नहीं है अपील नहीं कर सकता-जानमोहम्मद बनाम नूरुद्दीन 32 Bom. 155. (६) व्यवस्था-दफा ६२ के अनुसार किसी धर्मादेके सम्बन्धमें जो व्यवस्था निश्चितकी गई हो उसको कार्यमें परिणत किये जानेकी दरख्वास्त हर ऐसा आदमी कर सकता है जो उस धर्मादेमें कुछ स्वार्थ रखता हो 28 Mad 319; 24 Bom. 45; 1 Bom. L. R. 509. (७) कलक्टरके अधिकार-दफा के अनुसार जो अधिकार एडवोकेट जनरलको दिये हैं वे प्रेसीडेन्सी शहरों (कलकत्ता, बम्बई, मदरास). के बाहर प्रान्तीय सरकारकी मंजूरीसे कलक्टर या अन्य कोई आफिसर जिसे सरकार मुकर्रर करे काममें लायेगा; देखो-ज़ाबता दीवानी सन् १६०८ ई० की दफा १३. (८) एडवोकेट जनरल या कलक्टरका कर्तव्य-एडवोकेट जनरल या कलक्टर जब किसी धर्मादेके दावेके दायर किये जाने की मंजूरी देने लगे तो उनको चाहिये कि मामला खूब समझकर मंजूरी दें वह सिर्फ यही म देखें कि दावा दायर करने वाले लोग दूस्टमें कुछ स्वार्थ रखते हैं बक्लि यह भी देख ले कि वह ट्रस्ट पैसाही सार्वजनिक ट्रस्ट है, जिसकी बात उपरोक्त दफा १२ में कही गई है और इसकी भी अच्छी तरह जांव करलें कि वास्तवमें ट्रस्टका भंग हुआ है ? लेकिन अगर किसी मामले में यह देखा जाय कि उहोंने खूध समझकर मंसूरी देने में कुछ कसरकी है तो यह त्रुटि सिर्फ बेकायदगी समग्री जायगी। स्टके सम्बन्धमें कोई ऐसा सार्वजनिक झगडा होना चाहिये कि उसमें एडवोकेट जनरल या कलक्टरका हस्तक्षेप यह निर्णय करने के लिये ज़रूरी हो कि सार्वजनिक हक्रके कायम किये जाने का दावा दायर किया जाय या नहीं और अगर किया जाय तो कौन करे ? देखो--32 Cal. 8, 273-27 , दफा ८७५ ट्रस्टी आदिके हटानेका अधिकार जब कोई शिवायत महन्त ट्रस्टी या मेनेजर ट्रस्टको भंग करके या दूसरी तरह उस टूस्टके चलानेके अयोग्य सिद्ध हो तो अदालत उसे हटा देगी, देखो--एक्ट नं० 20 of 1863 S. 14. जो दूस्टी ठीक ठीक हिलाव नहीं रखता और रुपया खा जाता है या दूस्टकी जावदादपर अपना झूठा दावा करता है वह हटा दिया जायगा, देखो 31 Mad. 212. . अगर मैनेजर नेकनीयतीले इस्टकी किसी जायदादपर दावा करता हो तो महज़ यह कारण उसके हटाये जानेका काफी नहीं माना जायगा, देखो
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy