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________________ १०५४ धार्मिक और खैराती धर्मादे [सत्रहवां प्रकरण (ख) नये ट्रस्टीकी नियुक्ति-26 Mad. 450; 22 Mad. 117. (ग) हवाले किया जाना किसी जायदादका दृस्टीको(घ) हिसाब और तहकीकातकी तैयारीका हुक्म देना 33Bom.387. (च) करार दिया जाना कि ट्रस्टीकी जायदादका कितना भाग या कितना हक ट्रस्टके किसी खास उद्देशके लिये अलग किया जायगा। (छ) इस बातकी आज्ञा देनाकि जायदादका सब या कोई भाग किराये या पट्टेपर दिया जाय या बेच दिया जाय या रेहन रखा जाय या बदल लिया जाय। (ज) व्यवस्था (Scheme) निश्चित करना 23 Mad. 319. (झ) इससे अधिक या दूसरे प्रकारसे प्रार्थीके लिये सुभीता करना. जैसा कि मामलेको देखते हुए आवश्यक जान पड़े 25 All. ___631; 33 Cal. 789. (२) सिवाय इसके जैसा कि धर्मादेके कानून सन् १८६३ ई० एक्ट २० की दफा १४ में हुक्म है; कोई नालिश ऊपर लिखे किसी विषयके सम्बन्धमें उस वक्त तक दायर नहीं की जायगी जब तक कि उस दफाकी सब शर्ते न पालनकी जायं 8 All. 31; 11 Cal. 38. दफा ६२ का उद्देश-पहलेके कानून जाबता दीवानीकी इसी तरहकी दफा ५३६ का हवाला देते हुए बंगाल हाईकोर्टने, सजेदुर राजा चौधरी बनाम गौर मोहनदास वैष्णव 24 Cal. 418-425 वाले मुक़द्दमे में कहा कि इस दफा ५३६.का असली उद्देश हमारी रायमें स्पष्ट है कि किसी टूस्टमें स्वार्थ रखने वाले अगर वह सब एक हो जाये तो उस ट्रस्टके भङ्ग करने के दोषमें किसी भी दूस्टीके हटाये जाने का दावा करनेका अधिकार वे लोग हर समय रखते हैं लेकिन जब वह सब आदमी एक न हो सके तो यह उचित समझा गया कि उनमेंसे कुछ लोगही यदि वे एडवोकेट जनरल या जिलेके कलक्टर की मंजूरी प्राप्त कर ले तो वे दावा दायर कर सकेंगे लेकिन ट्रस्टियोंपर कुछ लोग व्यर्थ ही दावे दायर न करने लगे इसलिये मंजूरी लेनेकी शर्त रखी गई है, जब यह शर्त पूरी कर ली गई और व्यर्थ दावा दायर होनेसे पूरी रक्षा हो गई तो कोई वजह नहीं है कि इस दफाके अनुसार दायर किये हुए दावों में दूसरी रोक टोक लगाई जाय। पूर्वोच्छ विषयोंमेंसे किसी विषयका दावा हो और उसमें ऐसा दावा भी शामिल हो कि दूस्टकी कोई अनुचित रीतिसे इन्तकालकी हुई जायदाद का कब्ज़ा भी दिलाया जाय तो इस दफा ६२ के अनुसार ऐसा दावा समझा नायगा; देखो-24 Cal. 4187 28 A!. 112, 26 Mad. 450.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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