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________________ हिन्दूलॉ के स्कूलोंका वर्णन [प्रथम प्रकरण आदमी अपनी खास जायदाद किसी स्त्रीको दे दे तो दूसरी स्त्रियां अगर कोई हो चाहे वह संतानवाली हों या न हों उसी क़दर जायदाद पानेकी अधिकारिणी होंगी जिसकवर पहिली स्त्रीको दी गयीथी । और अगर उनको जायदाद न मिली हो तो लड़कों के बराबर हिस्सा पाने की अधिकारिणी होंगी देखोदायकर्म संग्रह ६ अ०२२-२६ दायभागमें विधवाका अधिकार ऐसा है कि चाहे उसका पति संतान छोड़कर या न छोड़कर मरा हो वह भाग पानेका दावा कर सकती है । अगर मरतेवक्त पतिने संतान नहीं छोड़ी और मुश्तरका खानदानमें मरा है तो भी विधवा उसकी वारिस होगी क्योंकि वह पतिकी हिस्सेदार मानी गयी है कारण यह बताया गया है कि विवाह होने के पश्चात् वह अपने पति की गोत्रवाली हो गयी और पति के शरीरमें आधा भाग उसे मिल गया इसलिये पति के मरने के बाद वह अपने हिस्सेका दावा करके मालिकाना क़ब्ज़ा रख सकती है। - कलकत्ता हाईकोर्टने इस विषयका यों निश्चय किया है कि विधवाके दावाके मुवाफिक बटवाराकी डिकरी देनेके पहिले यह विचार करलेना चाहिये कि इस डिकरीसे भावी वारिसके ऊपर तो किसी किस्मका असर खिलाफ नहीं पड़ता और अदालतको देखलेना चाहिये कि दावा दर असल जायज़ ज़रूरतके होनेसे दायर किया गया है ? और उसके डिकरी करनेसे मुश्तरका खानदानमें तो कोई बाधा नहीं पड़ती, और विधवा सही तौरपर अपने हक़ अथवा उसके हक़ पर जो विधवाके मरनेपर वारिस होगा कायम मुकाम होगी देखो-महादे बनाम हरकनरायन 9 Cal. 244-250 यह भी माना गया है कि अगर बापके औलाद हो और वह एक ऐसी विधवा छोड़कर मरा हो जो उस औलादकी माता न हो ( सौतेली मां ) तो वह रोटी कपड़ासे अधिक पानेका हक़ नहीं रखती। और अगर बाप औलाद छोड़कर मराहो और उसकी विधवा जो औलादकी मां हो तो उसे भी सिवाय रोटी कपड़े मिलने के और ज्यादा अधिकार नहीं है मतलब यह है कि पुत्रके जीतेजी माको अधिकार नहीं है। ऐसी दशा में विधवा बटवारेका दावा स्वयं नहीं कर सकती मगर यदि दूसरोंकी तरफसे ऐसा दावा होगा तो वह अपना हिस्सा बटा लेगी। दफा २३ स्कूलोंमें मान्य ग्रन्थ (१) बनारस स्कूल--(क) इस स्कूलमें याज्ञवल्क्यस्मृतिकी टीका मिताक्षरा सर्वोपरि मानी जाती है (देखो दफा ६ ) जहां कि, किसी काम करने की आज्ञा हो, और उस कामका न करना पाप हो तो विज्ञानेश्वरके अनुसार वह आज्ञा सर्वथा मान्य होगी और उस कामका करना लाज़िमी होगा 32 B. 2; 96 Bom. L. R. 1187. विज्ञानेश्वरका मत है कि जब सभी स्मृतियां एक समान मान्य हों और उनमेंसे दो या अधिक स्मृतियोंमें मतभेद हो तो अदालतको अधिकार है कि उनमेंसे चाहे जिसे माने 11 Bom.L.R.708.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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