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________________ धार्मिक और खैराती धर्मादे [सत्रहवां प्रकरण दफा ८३० अदालत व्यवस्था निश्चित कर देगी • वसीयत करने वालेने धर्मादेके लिये कोई ट्रस्ट कायम करनेका स्पष्ट विचार तो प्रकट किया हो परन्तु किस जायदादमें से वह ट्रस्ट चलाया जाय यह न बताया हो और जब अन्य कारणों से यह मालूम करना आवश्यक समझा जाय तो अदालत यह निश्चित करेगी कि उस धर्मादेका इन्तज़ाम कैसे किया जाय, देखो -9 C. W. N. 528; तथा 34 I. A. 78; 31 Mad 138; 11 C. W. N. 442; 9 Bom. L. R. 588; 28 Mad. 319. धर्मादेका जो कुछ इन्तज़ाम अदालत करेगी उसमें इस बातका वह ज़रूर ख्याल रखेगीकि उसी तरहके दूसरे धर्मादेमें क्या रवाज प्रचलित है और उस धर्मादेसे सम्बन्ध रखने वाले लोगोंकी हैसियत क्या है। इन्तज़ाम करनेके पहले सर्व प्रथम उस ट्रस्टकी जायदादका हिसाबमालूम करना चाहिये और समझना चाहिये, उस हिसाबकी जांचके परिणामपर बहुतसी बातें निर्भर हैं, ट्रस्टमें कितना रुपया है जब तक यह बात मालूम न हो तब तक इन्तज़ाम का तरीका निश्चित करना असम्भव है, देखो-26 I. A. 199, 24 Bom. 50; 4 C. W. N. 23; 2 Bom. L. R. 410; 12 Bom. 247. अदालतने जो तरीका इन्तज़ामका निश्चित किया हो, कोई योग्य कारण दिखानेसे उसमें फेर बदल हो सकता है। देखो-28 Mad 319, 34 I. A. 78; 31 Mad. 138; 11 C. W. N. 442; 5 Bom. L R. 588. दफा ८३१ धर्मादा कभी ख़ारिज नहीं हो सकता . जो धर्मादा जायज़ तौरसे कायम किया गया हो उसे उसका स्थापक या उसके वारिस फिर खारिज नहीं करा सकते, देखो-14 M. I. A. 289; 10 B. L. R. 19-31; 17. W. R. C. R. 41. धर्मादेका स्थापक सिर्फ इस कारणसे कि ठाकुरजीकी पूजा ठीक ठीक नहीं होती या धर्मादेकी शर्ते पूरी नहीं की जातीं, उस धर्मादेकी जायदादपर कब्ज़ा पाने या अपने काममें लाने का अधिकारी नहीं है. देखो-11 W. R. C. B. 443. अधिक देखना हो तो देखो चतुर्वर्ग चिन्तामणिका दान प्रकरण । दफा ८३२ मन्दिर और मठ हिन्दुओंके धर्मादा स्थापित करने के उद्देशोंमें बहुधा मन्दिरकी पूजा या मठकी स्थापना आदि हुआ करते हैं। मन्दिर वह कहलाते हैं जिनमें किसी देवताकी पूजा होती है और मठ वह कहलाते हैं जिसमें साधु, सन्यासी परिव्राजक, महन्त, बाबा जी, गद्दीधर या कोई महात्मा रहते हैं, कथा वार्ता और धर्मोपदेश होता रहता है--27 M. 435.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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