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________________ त्युपत्र [सोलहवां प्रकरण Movie 24 Cal. 834; 24 I. A.76; 29 All. 217; 4 All. L. J. 637 14 C. W. N. 458. किसी हिन्दूने अपनी विधवा बहूके हकमें वसीयत किया और उसे वसीयत द्वारा जायदादका मालिक बनाया तथा उसे पावश्यकतापर जायदाद के रेहन करने और आमदनी को इच्छानुकूल खर्च करने का अधिकार दिया। तय हुआ कि वसीयतनामे द्वारा सम्पूर्ण अधिकार न दिया गया था बक्लि जायदाद पर उसका बतौर विधवाके अधिकार था। शब्द 'मालिक' से सम्पूर्ण अधिकार न हो ऐसा विदित होता-मु० शिवदानी कुंवर बनाम राम जी उपाध्या 90 1. C. 757. (२) 'मालिक वखुद अख्त्यार'-2 Ind. Case 474; 31 All. 308; 6 I. L. J. 420 में माना गया कि इस वाक्यसे सब पूरे अधि कार प्राप्त हो जाते हैं। (३) 'मालिक जायज़ मिस्ल मेरेके'-12 0. C. 157; 2 Ind Case. 924 वाले केसमें एक आदमीने अपनी स्त्रीको वसीयतमें लिखा कि मेरे मरने के बाद वह 'मालिक जायज़ मिस्ल मेरेके' हो, माना गया कि उसे पूरे अधिकार प्राप्त हो गये। (४) 'पुत्र पौत्रादिकमः'-माना गया कि पूरा मालिक और मर्द शाखा में एकके बाद दूसरा उत्तराधिकारी होगा जहां औरतोंका सम्बन्ध हो वहां औरत की वारिस औरत ही समझी जायगी, देखो -7 Cal. 304, 8 I. A. 46; 10 C. L. R. 349; 5 Cal. 2283 4 C. L. R. 77; 24 Cal. 834; 24 I. A. 76. (५) पुत्र पुत्रादि'-एक वसीयतमें यह शब्द लिखा था माना गया कि बिना किसी शर्तके पूरा मालिक है, देखो-29 Cal. 69990. W. N. 721. (६) 'अगर मेरा लड़का मर जाय'-इस वाक्यका अर्थ यह माना गया कि अगर मेरा लड़का नाबालिग्रीमें मर जाय-17 Cal. 122; 161 I. A. 166. (७) 'दखीलदार'-इसका अर्थ जायदाद को कब्जे में रखने वाला या मेनेजर लगाया गया-17 Cal. 122; 16 I.A. 166. (८) 'धर्मार्थ'-यह वाक्य सीमा रहित मतलबोंके लिये समझा गया, अनिश्चित, भाव सूचक माना गया-39 P. R. 19083 185 P. L. R. 1908.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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